सोमवार की बैठक में ठाकरे परिवार पर शिवसेना के सैनिकों के समर्थन का भी टेस्ट होना था। इस मीटिंग में शिवेसना के 16 सांसद मौजूद रहे। एकनाथ शिंदे के बेटे सांसद श्रीकांत शिंदे समेत छह सांसद इस मीटिंग में नहीं गए। बता दें कि शिवसेना के लोकसभा में 19 सांसद व राज्यसभा में तीन सदस्य हैं।
मुंबई। आदिवासी कार्ड ने विपक्षी की सारी रणनीतियों पर पानी फेर दिया है। संयुक्त विपक्ष बिखर चुका है। राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) के लिए शिवसेना (Shiv Sena) भी एनडीए (NDA) के खेमे में जा चुकी है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने मंगलवार को घोषणा की कि उनके नेतृत्व वाली शिवसेना 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा नीत राजग की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेगी। दरअसल, यह फैसला पार्टी के 22 में से 16 सांसदों द्वारा ठाकरे को समर्थन देने के लिए कहने के एक दिन बाद आया है। सांसदों ने ठाकरे से कहा कि मुर्मु आदिवासी समुदाय की महिला हैं और महाराष्ट्र में करीब दस प्रतिशत आदिवासी आबादी है।
बगावत के डर से ठाकरे ने टेके घुटने
ऊपरी तौर पर, ऐसा लगता है कि उद्धव ठाकरे ने अंदर के दबाव के आगे घुटने टेक दिए हैं। पिछले महीने एकनाथ शिंदे के बगावत कर अलग होने और भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने दूसरा गुट बैकफुट पर है। दशकों से महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार का दबदबा अचानक से कम पड़ गया। उधर, सोमवार को जब ठाकरे ने सांसदों की मीटिंग बुलाई तो राष्ट्रपति चुनाव के लिए सांसदों ने साफ तौर पर द्रौपदी मुर्मु के पक्ष में जाने की सलाह दे डाली। सांसदों के एकमत होने के बाद ठाकरे काफी दबाव में थे।
हालांकि, ठाकरे ने द्रौपदी मुर्म के समर्थन का दावा करते हुए किसी प्रकार के दबाव से इनकार किया है। ठाकरे ने कहा कि मेरी पार्टी के आदिवासी नेताओं ने मुझसे कहा कि यह पहली बार है जब किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनने का मौका मिला है। ठाकरे ने कहा कि वर्तमान राजनीतिक माहौल को देखते हुए मुझे द्रौपदी मुर्मु का समर्थन नहीं करना चाहिए था लेकिन मैं सकीर्ण सोच वाला व्यक्ति नहीं हूं।
पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति
द्रौपदी मुर्मु अगर चुनी जाती हैं तो देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। दरअसल, महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही शिवसेना के लिए आदिवासी वोटरों को नाराज करना किसी बड़े नुकसान से कम नहीं है। महाराष्ट्र में दस प्रतिशत आदिवासी वोटर है। यह वोटर शिवसेना के पक्ष में रहता है। इसलिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती जिससे आदिवासी वोटर्स नाराज हों। यही नहीं ठाकरे के साथ खड़े 16 सांसदों ने मुर्मु के पक्ष में वोट करने की सलाह दी थी। ठाकरे के लिए इन सांसदों के खिलाफ कोई फैसला लेना संभव नहीं है क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव में व्हिप जारी किया जाता है।