इन 6 प्रोजेक्ट से और ताकतवर हो जाएगी भारतीय सेना, टेक्नोलॉजी के बल पर अभेद्य बिसात बिछाने में हासिल होगी महारत

सेना को टेक्नोलॉजी से लैस, घातक और फुर्तीला बनाने में जुटी है। इसके लिए भारतीय सेना ने कई परियोजनाएं शुरू की हैं।

नई दिल्ली:  चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर दोतरफा चुनौतियों के मद्देनजर भारतीय सेना भविष्य में जवानों को टेक्नोलॉजी से लैस, घातक और फुर्तीला बनाने में जुटी है। इसके लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं। यह परियोजनाएं सेना के फंक्शनल प्रोसेस (functional processes) को नया शेप देंगी और फिर से उनकी इंजीनियर करेंगी। इनसे सेना की क्षमता और फंक्सनल एफिशियंसी (unctional efficiency) बेहतर होगी। इन प्रोजेक्ट्स की मदद से सेना को नई तकनीक से लैस किया जाएगा और इससे सेना की क्षमताओं में इजाफा होगा।

इन परियोजनाओं में सिचुएशनल अवेयरनेस मॉड्यूल (Situational Awareness Module ), सिचुएशनल रिपोर्टिंग ओवर एंटरप्राइज-क्लास जीआईएस प्लेटफॉर्म (Situational Reporting Over Enterprise-Class GIS Platform) आर्मी की अपनी गैटीशक्ति (AVAGAT), आर्टिलरी कॉम्बैट कमांड कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम (Artillery Combat Command Control and Communication System), प्रोजेक्ट संजय (बैटलफील्ड सर्विलांस सिस्टम), और इंडियन आर्मी डेटा रिपॉजिटरी एंड एनालिटिक्स (Indian Army Data Repository and Analytics) शामिल हैं।

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यह परियोजनाएं बड़ी संख्या में सेंसर के इंटिग्रेशन को एनेबल करेगी और सभी स्तरों पर कमांडरों और कर्मचारियों को एक इंटिग्रेटिड सर्विलेंस पिक्चर (integrated surveillance picture ) प्रदान करने में सक्षम बनाएगी। चलिए अब आपको इन सभी प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से बताते हैं।

1-प्रोजेक्ट अवगत
सेना सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना पी एम गतिशक्ति की तर्ज पर अपने गतिशक्ति प्रोजेक्ट ‘अवगत’ पर भी काम कर रही है। इससे सेना को सैटेलाइट, मौसम संबंधी जानकारी और अन्य जानकारी एक प्लेटफार्म पर मिलेंगी। इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किए जाने की योजना है। उम्मीद है कि यह इस वर्ष के अंत तक यह पूरी तरह लागू हो जायेगा।

2-प्रोजेक्ट संजय
संजय सिस्टम यानी बैटलफील्ड सर्विलांस सिस्टमपर पिछले साल से टेस्टिगं हो रही है। इसके पठार, रेगिस्तान और पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार परीक्षण किए जा रहे हैं। संजय के तहत सभी फील्ड फार्मेशनों में दिसंबर 2025 तक 60 सर्विलेंस सेंटर काम करना शुरू कर देंगे। इस प्रोजेक्ट के तहत करीब तीन हजार सेंसर सभी कमांडरों को निरंतर निगरानी तस्वीर भेज सकेंगे।

3-प्रोजेक्ट समा
सूत्रों के अनुसार सिचवेशनल अवेयरनेस माड्यूल फॉर आर्मी (SMA) का इस्तेमाल सबसे पहले चीन से लगती सेना की उत्तरी कमान में अगले महीने से शुरू हो जाएगा। समा के जरिए कमांडरों को युद्ध के दौरान सेना के संचालन संबंधी सभी जानकारी एक क्लिक के माध्यम से मिलेगी।

4-सिचुएशनल रिपोर्टिंग ओवर एंटरप्राइज-क्लास
सिच्युएशनल रिपोर्टिंग सभी ओपरेशन की कुंजी है। यह एक जीवनदायी ओपरेशन है, जो ओपरेशन कर्मचारियों के काम आता है। सूत्रों ने कहा कि इस साल जून से, सिचुएशनल रिपोर्टिंग शुरू हो जाएगा। इसमें अत्याधुनिक स्थानी विजुअल, अस्थायी और डायनेमिक क्वेरी और एनालिटिक्स कस्टम- होंगे।

5-इंडियन आर्मी डेटा रिपॉजिटरी एंड एनालिटिक्स एप्लिकेशन

इंडियन आर्मी डेटा रिपॉजिटरी एंड एनालिटिक्स एप्लिकेशन (INDRA)को 47 रिकॉर्ड कार्यालयों में फैले JCOs और अन्य कर्मियों के डेटाबेस के प्रबंधन के लिए विकसित किया गया है। इसका रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय में एक केंद्रीय डेटा स्टोरेज पहले ही बनाया जा चुका है।

6- आर्टिलरी कॉम्बैट कमांड कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम

आर्टिलरी कॉम्बेट कमांड कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम में नई डिफेंस सीरीज मैप सिस्टम है। इसकी मदद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के साथ नए नक्शों का उपयोग हो सकेगा। इसकी मदद से कमांडर्स और अन्य स्टाफ ज्यादा बेहतर तरीके से सेना के इंटिग्रेशन का सर्विलांस कर सकेंगे।

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