कुर्सी संभालने से पहले गुरुद्वारे पहुंचे चन्नी, BJP बोली-चन्नी का पंजाब का CM बनना दलितों का अपमान

कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद पंजाब के Chief Minister की कुर्सी पर बैठने से पहले चरणजीत सिंह चन्नी  सोमवार सुबह गुरुद्वारा पहुंचे।
 

चंडीगढ़. पंजाब कांग्रेस में लंबी कलह के बाद फायदे में रहे चरणजीत सिंह चन्नी सोमवार को मुख्यमंत्री( Chief Minister) की कुर्सी संभालने से पहले रूपनगर के गुरुद्वारा श्री कटलगढ़ साहिब में अरदास करने पहुंचे। दलित नेता दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी का नाम का नाम ऐन मौके पर सामने आया था।

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BJP बोली-चन्नी का CM बनना दलितों का अपमान
भाजपा के आईटी सेल के नेशनल इंचार्ज(National in-charge of BJP's Information & Technology department) अमित मालवीय ने एक tweet करके चन्नी पर सवाल उठाए हैं। मालवीय ने कहा-यदि चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया है, तो यह पूरे दलित समुदाय का बहुत बड़ा अपमान है, केवल गांधी परिवार के चुने हुए नवजोत सिंह सिद्धू के लिए सीट पर कब्जा करने के लिए। यह पूरी तरह से कांग्रेस द्वारा दलित सशक्तिकरण को कमजोर करता है। शर्म की बात है।

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कौन हैं चन्नी
चरणजीत सिंह चन्नी रूपनगर जिले की चमकौर साहिब विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार विधायक बने हैं। 2007 में वो पहली बार निर्दलीय चुनाव जीते थे इसके बाद उन्होंने दो बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। 2015 से 2016 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे।

यह भी पढ़ें-सीएम की रेस में क्यों पिछड़ गए सिद्धू और सुखजिंदर सिंह, 32% वोट के लिए कांग्रेस ने चन्नी पर लगाया दांव

कैप्टन कैबिनेट में थे मंत्री
चन्नी रामदासिया सिख कम्युनिटी से हैं। 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में उन्हें टेक्निकल एजुकेशन और इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग मंत्री बनाया गया था। अमरिंदर सिंह के खिलाफ अगस्त में हुई बगावत में चन्नी प्रमुख थे। पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह भी कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले से खुश हैं। क्योंकि कैप्टन ने साफ तौर पर कह दिया था कि अगर पार्टी ने नवजोत सिंह सिद्धू या सिद्धू के किसी करीबी को मुख्यमंत्री बनाया तो उसे फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ेगा। हो सकता था कि सिद्धू और रंधावा के मुख्यमंत्री बनाए जाने पर कैप्टन बगावती तेवर अपना सकते थे।

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आखिरकार सिद्धू पिछड़ गए
पंजाब के नए मुख्यमंत्री के लिए नवजोत सिंह सिद्धू और सुखजिंदर सिंह रंधावा के अलावा सुनील जाखड़ और प्रताप सिंह बाजवा के नाम भी चर्चा में थे। चन्नी को गांधी परिवार का करीबी माना जाता रहा है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर सुखजिंदर सिंह के नाम पर सहमति क्यों नहीं बन पाई और सिद्धू क्यों पिछड़ गए? चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब कांग्रेस में मुखर नेता रहे हैं। वे पंजाब में कांग्रेस के एक अहम दलित सिख चेहरा माने जाते हैं। भारत में सबसे अधिक दलित सिख पंजाब में हैं। इनकी संख्या लगभग 32% है। क्योंकि आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा में दलित नेता हरपाल चीमा को विपक्ष का नेता बनाया है। कांग्रेस ने इस दांव से सभी दलों को सियासी पटखनी दी है।

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