केंद्र सरकार के संसद से पारित कराए गए कृषि कानूनों का देशभर में विरोध हो रहा है। सोमवार को कई किसान नेताओं ने दिल्ली स्थित इंडिया गेट के सामने एक ट्रैक्टर को जला कर शहीदभगत सिंह के नाम पर नारेबाजी की। इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सोमवार से कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठने जा रहे हैं। सीएम अमरिंदर सिंह आज शहीद भगत सिंह की जयंती के अवसर पर उनके पैतृक गांव खटकर कलां पहुंचेंगे। यहां पहले अमरिंदर सिंह भगत सिंह को श्रद्धांजलि देंगे और फिर यहीं से धरने पर बैठ जाएंगे।
अमृतसर. केंद्र सरकार के संसद से पारित कराए गए कृषि कानूनों का देशभर में विरोध हो रहा है। सोमवार को कई किसान नेताओं ने दिल्ली स्थित इंडिया गेट के सामने एक ट्रैक्टर को जला कर शहीदभगत सिंह के नाम पर नारेबाजी की। पंजाब और हरियाणा में भी कई किसान संगठन हिंसक प्रदर्शन पर उतर आए हैं। इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सोमवार से कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठने जा रहे हैं। सीएम अमरिंदर सिंह आज शहीद भगत सिंह की जयंती के अवसर पर उनके पैतृक गांव खटकर कलां पहुंचेंगे। यहां पहले अमरिंदर सिंह भगत सिंह को श्रद्धांजलि देंगे और फिर यहीं से धरने पर बैठ जाएंगे। बता दें कि भगत सिंह का जन्म लायलपुर में हुआ था, लेकिन उनके परिवार का पैतृक गांव यहां खटकर कलां ही था।
अमरिंदर सिंह लगातार अबतक इस कानून के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे, लेकिन सार्वजनिक तौर पर ये उनका पहला प्रदर्शन होगा। इस धरने में उनके साथ उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत और पंजाब सरकार के कुछ अन्य मंत्री भी शामिल होंगे। पंजाब कांग्रेस का कहना है कि पार्टी की ओर से इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहेगा और लंबे वक्त तक अलग-अलग हिस्सों में ये विरोध होगा। गौरतलब है कि कृषि कानूनों के विरोध की अगुवाई पंजाब ही कर रहा है। पंजाब से ही आने वाले अकाली दल से नेता हरसिमरत कौर बादल ने इस कानून के विरोध में पहले केंद्र सरकार से इस्तीफा दिया और और बीते शनिवार ही वह एनडीए से अलग हो गया। अकाली दल और भाजपा करीब तीन दशकों से एक साथ थे, लेकिन अब ये साथ टूट गया है।
केंद्र सरकार द्वारा संसद के मानसून सत्र में कृषि सुधार से जुड़े तीन विधेयक लाए गए थे, जिसमें मंडी एक्ट से लेकर अन्य कई मुद्दों पर बदलाव किया गया था। देशभर के कई किसान संगठन और कांग्रेस समेत कईं विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। हालांकि, इस विरोध के बीच रविवार को तीनों विधेयकों पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर कर इन्हें कानून बना दिया है।