उद्धव ठाकरे ने इस फैसले लोकतंत्र की हत्या बताते हुए इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। ठाकरे के बयान पर राज्यसभा सांसद महेश जेठमलानी ने पलटवार किया है।
Mahesh Jethmalani slams Udhav Thackeray: शिवसेना के दोनों गुट में एक दूसरे के विधायकों को अयोग्य करार देने की याचिका पर फैसला आने के बाद रार छिड़ी हुई है। बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने फैसला सुनाया। नार्वेकर ने शिंदे गुट को असली शिवसेना बताया और विधायकों को अयोग्य करार देने की याचिका खारिज कर दी। उद्धव ठाकरे ने इस फैसले लोकतंत्र की हत्या बताते हुए इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। ठाकरे के बयान पर राज्यसभा सांसद महेश जेठमलानी ने पलटवार किया है। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर दलबदल विरोधी कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया है। सांसद जेठमलानी ने कहा कि ठाकरे ने संविधान की 10वीं अनुसूची का उल्लंघन किया है।
क्या कहा महेश जेठमलानी ने?
सीनियर एडवोकेट और राज्यसभा सांसद महेश जेठमलानी ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में विधायकों की अयोग्यता की याचिका पर स्पीकर राहुल नार्वेकर का फैसला लोकतंत्र की हत्या बताया है। उन्होंने अपील में सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। लेकिन उनके इस दावे के पहले देश के लोगों को दलबदल कानून के बारे में भी जानना चाहिए। इस देश के लोगों को संविधान की 10वीं अनुसूची के औचित्य के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। जेठमलानी ने कहा कि दलबदल विरोधी प्रावधान, अपनी चुनावी नीति और वादों से मुकरने और पैसे के लिए राजनीतिक व्यवस्था में प्रवेश करके मतदाताओं के साथ विश्वासघात को रोकने के लिए, पद का लालच देने के खिलाफ व सरकारी अस्थिरता और नये मध्यावधि चुनाव को रोकने के लिए है। लेकिन उद्धव ठाकरे ने दलबदल कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
महेश जेठमलानी ने कहा कि एकजुट शिवसेना ने 2019 के राज्य चुनावों में भाजपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन में चुनाव लड़ा। गठबंधन के दौरान शिवसेना ने 56 सीटें जीती। महाराष्ट्र के लोगों ने गठबंधन को जनादेश दिया था। उद्धव ठाकरे ने गठबंधन को धोखा दिया। शिवसेना के विधायकों ने भी जनादेश के खिलाफ जाने का विरोध किया। सीएम बनने के लिए ठाकरे ने जनता के साथ धोखा किया।
उन्होंने कहा कि 29 जून 2022 को उद्धव ने स्वेच्छा से सीएम पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि उन्होंने विधानसभा में बहुमत का विश्वास स्पष्ट रूप से खो दिया था। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट ने चुनाव पूर्व गठबंधन बहाल किया। जब उद्धव के इस्तीफा देने के बाद शिंदे को विश्वास मत का सामना करना पड़ा और उन्होंने सीएम पद की शपथ ली तो उद्धव ने चुनाव पूर्व गठबंधन पर आधारित व्यवहार्य सरकार को केवल इसलिए वोट देकर सरकार में अस्थिरता पैदा करने का प्रयास किया क्योंकि वह सीएम नहीं बन सकते थे और सीएम बनते देख शिंदे को बर्दाश्त नहीं कर सकते थे।
जेठमलानी ने कहा कि शिंदे ने जनादेश का सम्मान किया लेकिन ठाकरे ने धोखा दिया। उन्होंने सवाल किया कि 2019 और 2022 दोनों में किसने दसवीं अनुसूची की भावना और उद्देश्य का उल्लंघन किया है? पद की लालसा से किसने कार्य किया? वंशवादी पितृसत्ताओं के साथ समस्या यह है कि वे अधिकार और घमंड में इतने डूबे हुए हैं और अयोग्य अनुचरों पर इतने निर्भर हैं कि वे सही और गलत में अंतर करने में असमर्थ हैं और केवल अपनी अचूकता पर विश्वास करते हैं।
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