VIDEO: सुधांशु त्रिवेदी बोले- राममंदिर आंदोलन के साथ भारत की अर्थव्यवस्था में आया उछाल, पहले उड़ाया जाता था मजाक

राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पहले भारत की अर्थव्यवस्था का मजाक उड़ाया जाता था। राममंदिर आंदोलन के साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था में उछाल आना शुरू हुआ।

Vivek Kumar | Published : Dec 6, 2023 1:46 PM IST / Updated: Dec 06 2023, 07:26 PM IST

नई दिल्ली। भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने भारत की आर्थिक उन्नति को राम मंदिर निर्माण से जोड़ते हुए भाषण दिया है। उन्होंने कहा कि पहले भारत की अर्थव्यवस्था का मजाक उड़ाया जाता था। राममंदिर आंदोलन के साथ अर्थव्यवस्था में उछाल आना शुरू हुआ।

राज्यसभा में सुधांशु त्रिवेदी ने कहा,  “एक दौर था जब भारत की अर्थव्यवस्था का मजाक उड़ाया जाता था। कहा जाता था कि ये दो प्रतिशत से अधिक ग्रोथ नहीं कर सकते। इसे हिंदू ग्रोथ रेट कहकर हमारा मजाक उड़ाया जाता था। जबसे हमलोग (बीजेपी की सरकार) आए हैं। हिंदुत्व की ग्रोथ रेट आज 7.8 प्रतिशत की है। अब वो लोग आए हैं जो हिंदुत्व में विश्वास करते हैं।”

 

 

भारत का एक नया स्वरूप उभर रहा है

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “भारत का एक नया स्वरूप उभर रहा है। देश आजाद हुआ तो उस समय भारत की अर्थव्यवस्था पर ताला लगा हुआ था। हमारे विपक्षी कहते हैं कि बहुत कुछ नहीं था, हम बहुत कुछ नहीं कर सकते थे। तब श्रीरामलला विराजमान भी ताले में ही थे। जैसे ही राममंदिर का आंदोलन शुरू हुआ, अर्थव्यवस्था के अंदर भी नया परिवर्तन शुरू हुआ। 90-92 में अर्थव्यवस्था में बदलाव हुआ, यही वह दौर है जिस समय विवादित ढ़ांचा गिरा और नेहरू मॉडल समाप्त हुआ। उस समय फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व एक बिलियन डॉलर पर था।”

उन्होंने कहा, “उसके बाद एक बड़ा दौर आया। 2003-2004 की चौथी तिमाही में हम दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बने। यही वो दौर था जब खुदाई हुई और 70 खंभे निकले, इससे साबित हो गया कि वो मंदिर श्रीरामलला विराजमान के पास ही है।”

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सुधांशु ने कहा, “इसके बाद 2019 में जब कोर्ट का फैसला आया तब मोदी जी के नेतृत्व में फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 500 बिलियन डॉलर हो गया। अब जब राम मंदिर बनने जा रहा है तो हम पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था, चौथे बड़े स्टॉक एक्सचेंज, तीसरे बड़े ऑटोमोबाइल निर्माता, दूसरे बड़े मोबाइल निर्माता और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश में पहले नंबर वन हैं। हम चांद के अछूते कोने में पहुंचने वाले पहले देश बने हैं। कुछ ऐसे संयोग होते हैं जिनको देखने के लिए एक अलग दृष्टि चाहिए।”

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