Republic Day 2026: कर्तव्य पथ पर इस बार हथियार नहीं, ये ‘मूक योद्धा’ दिखाएंगे सेना की ताकत

Published : Dec 31, 2025, 02:58 PM IST

Republic Day 2026 में कर्तव्य पथ पर दिखेंगे भारतीय सेना के ‘मूक योद्धा’। ऊंट, ज़ांस्कर पोनी, रैप्टर्स और सेना के कुत्ते पहली बार इतने बड़े रूप में परेड करेंगे-क्या आप जानते हैं इन चार पैरों वाले वीरों की असली ताकत?

PREV
18
चार पैरों पर चलता साहस: गणतंत्र दिवस 2026 में इतिहास रचने जा रही भारतीय सेना

Indian Army Animal Contingent: गणतंत्र दिवस 2026 इस बार सिर्फ मिसाइलों, टैंकों और आधुनिक हथियारों के लिए याद नहीं किया जाएगा। कर्तव्य पथ पर इस बार भारतीय सेना के वे सच्चे साथी भी कदमताल करते दिखेंगे, जो हमेशा चुप रहकर देश की रक्षा करते आए हैं। भारतीय सेना के पशु दस्ते-जिन्हें प्यार से ‘मूक योद्धा’ कहा जाता है-पहली बार इतने बड़े और संगठित रूप में गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होंगे। यह दृश्य न सिर्फ गर्व से भर देगा, बल्कि भावुक भी कर देगा।

28
क्यों खास है Republic Day 2026 की ये परेड?

अब तक आपने परेड में हथियार, सैनिक और आधुनिक तकनीक देखी होगी, लेकिन 2026 में तस्वीर कुछ अलग होगी। इस बार सेना यह दिखाने जा रही है कि देश की रक्षा सिर्फ इंसान नहीं, बल्कि जानवर भी करते हैं। ये मूक योद्धा बिना किसी शोर के, बिना किसी पहचान की चाह के, हर मुश्किल हालात में सेना के साथ खड़े रहते हैं।

38
कौन-कौन से पशु होंगे इस ऐतिहासिक दस्ते में शामिल?

इस विशेष पशु दस्ते में कई अनोखे और ताकतवर साथी शामिल होंगे। इसमें-

  • दो बैक्ट्रियन ऊंट,
  • चार ज़ांस्कर पोनी,
  • चार शिकारी पक्षी (रैप्टर्स),
  • भारतीय नस्ल के 10 सेना के कुत्ते,
  • और 6 पारंपरिक सैन्य कुत्ते शामिल हैं।

ये सभी मिलकर भारतीय सेना की असली ताकत और विविधता को दर्शाएंगे।

48
लद्दाख के ऊंट कैसे बन गए सेना की रीढ़?

बैक्ट्रियन ऊंट इस दस्ते की अगुवाई करेंगे। इन्हें हाल ही में लद्दाख के ठंडे रेगिस्तानी इलाकों में तैनात किया गया है। ये ऊँट 15,000 फीट से ज्यादा ऊँचाई और बेहद ठंडे मौसम में भी आराम से काम कर लेते हैं। खास बात यह है कि ये 250 किलो तक सामान ढो सकते हैं और बहुत कम पानी व चारे में लंबी दूरी तय कर लेते हैं। दुर्गम इलाकों में सेना के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं हैं।

58
छोटी कद-काठी वाली ज़ांस्कर पोनी में इतनी ताकत कैसे?

ज़ांस्कर पोनी लद्दाख की एक दुर्लभ और स्वदेशी नस्ल है। देखने में छोटी, लेकिन ताकत में जबरदस्त। ये माइनस 40 डिग्री तापमान में भी 40 से 60 किलो वजन लेकर चल सकती हैं। साल 2020 से ये सियाचिन जैसे खतरनाक इलाकों में सैनिकों के साथ काम कर रही हैं और कई बार एक दिन में 70 किलोमीटर तक गश्त करती हैं।

68
परेड में शिकारी पक्षी क्यों किए गए शामिल?

चार शिकारी पक्षी यानी रैप्टर्स सेना की नई और स्मार्ट रणनीति का हिस्सा हैं। इनका इस्तेमाल निगरानी और हवाई सुरक्षा में किया जाता है। दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने में ये बेहद कारगर साबित होते हैं, जिससे सैन्य अभियानों की सुरक्षा और भी मजबूत होती है।

78
‘मूक योद्धा’ कहे जाने वाले सेना के कुत्ते क्यों हैं सबसे भावुक हिस्सा?

इस परेड का सबसे भावनात्मक दृश्य होंगे भारतीय सेना के कुत्ते। मेरठ स्थित रिमाउंट एंड वेटरनरी कॉर्प्स में प्रशिक्षित ये कुत्ते आतंकवाद विरोधी अभियानों, विस्फोटक पहचान, सर्च ऑपरेशन और आपदा राहत में अहम भूमिका निभाते हैं। कई बार इन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर सैनिकों की जान बचाई है।

88
आत्मनिर्भर भारत से क्या बदल रहा है सेना का चेहरा?

‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत सेना अब मुधोल हाउंड, रामपुर हाउंड, चिप्पीपराई, कोम्बई और राजापलायम जैसी भारतीय नस्लों को प्राथमिकता दे रही है। यह भारत की अपनी ताकत और संसाधनों पर बढ़ते भरोसे का साफ संकेत है। जब गणतंत्र दिवस 2026 पर ये मूक योद्धा कर्तव्य पथ से गुजरेंगे, तो वे देश को यह याद दिलाएंगे कि रक्षा सिर्फ बंदूकों और मिसाइलों से नहीं होती। सियाचिन से लेकर लद्दाख तक, इन जानवरों ने चुपचाप लेकिन मजबूती से अपना फर्ज निभाया है। ये सिर्फ सहायक नहीं, बल्कि भारतीय सेना के सच्चे साथी और चार पैरों पर चलने वाले वीर योद्धा हैं।

Read more Photos on

Recommended Stories