रिटायरमेंट प्लानिंग में न करें ये 5 बड़ी गलतियां, वरना पड़ेगा पछताना

रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए सिर्फ EPF पर निर्भर रहना या नौकरी बदलने पर EPF ट्रांसफर न करना जैसी छोटी-छोटी गलतियाँ आपकी रिटायरमेंट इनकम को बहुत प्रभावित कर सकती हैं. जानिए ऐसी ही 5 गलतियों के बारे में.

Asianetnews Hindi Stories | Published : Sep 4, 2024 6:04 AM IST

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रिटायरमेंट प्लानिंग कितनी जरूरी है, यह तो सभी जानते हैं. बुढ़ापे में बिना काम किए आमदनी कमाने के लिए जरूरी है कि आपके पास एक अच्छा पेंशन प्लान हो. लेकिन बहुत से लोग इसमें बड़ी गलतियाँ करते हैं. नौकरी के दौरान की गई ये गलतियाँ रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली आमदनी को प्रभावित करती हैं. आइए जानते हैं ऐसी ही 5 गलतियों के बारे में जो लोग अक्सर करते हैं.

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बहुत से युवा सोचते हैं कि वे EPF के जरिए बचत कर रहे हैं. इसलिए वे अपने बुढ़ापे के लिए कोई अलग से प्लान नहीं बनाते. EPF की ब्याज दरें सरकार तय करती है. इसके अलावा नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) जैसी कुछ अच्छी योजनाएं भी हैं. इसलिए सिर्फ EPF पर निर्भर न रहकर दूसरे तरीकों से भी निवेश करना चाहिए.

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बहुत से लोग नौकरी बदलने के बाद अपने EPF का पैसा पुरानी कंपनी से नई कंपनी में ट्रांसफर नहीं कराते. इससे उन्हें ब्याज का नुकसान होता है. इसलिए नौकरी बदलने के बाद पुरानी कंपनी के EPF का पैसा नई कंपनी में जरूर ट्रांसफर कराना चाहिए.

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ज्यादातर युवाओं को नौकरी लगते ही लगता है कि रिटायरमेंट के लिए अभी से पैसे क्यों बचाएं, बाद में देख लेंगे. आप जितनी जल्दी निवेश शुरू करते हैं, उतना ही अच्छा होता है. रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली आमदनी उसी हिसाब से बढ़ती है. शुरुआत से ही निवेश करने पर आपको हर महीने कम पैसे निवेश करने पड़ेंगे और रिटायरमेंट के बाद अच्छी आमदनी मिल सकेगी.

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आधिकारिक तौर पर कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र 60 साल होती है. लेकिन, आजकल लोग बहुत ज्यादा तनाव में काम करते हैं. ऐसे में 60 साल तक लगातार नौकरी करना मुश्किल होता है. इसलिए अगर आप नौकरी लगते ही रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू कर देते हैं, तो आपको 60 साल की उम्र तक नौकरी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आप उससे पहले ही रिटायर हो सकते हैं.

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रिटायरमेंट के लिए बचत करते समय बहुत से लोग यह नहीं सोचते कि अगले 25-30 सालों में रुपये की कीमत क्या होगी. रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग करते समय, वे महंगाई को नजरअंदाज कर देते हैं और मौजूदा ब्याज दरों के आधार पर निवेश करते हैं. ऐसे में रिटायरमेंट के समय उन्हें मिलने वाली रकम काफी कम हो जाती है. तब महंगाई बढ़ने से उनके खर्चों को पूरा न कर पाने की समस्या खड़ी हो जाती है. इसलिए, लंबी अवधि वाले प्लान में निवेश करना चाहिए.

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