प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर के स्थल के कार्य प्रगति की समीक्षा की। लोथल हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख शहरों में से एक था और यहां पर सबसे पुराने मानव निर्मित गोदी या डॉकयार्ड की खोज होने के लिए यह जाना जाता है।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर(National Maritime Heritage Complex) के स्थल के कार्य प्रगति की समीक्षा की। इसके बाद प्रधानमंत्री ने अपनी बात भी रखी।
हमारे इतिहास की अनेक गाथाओं को भुला दिया गया है
मोदी ने कहा-हमारे इतिहास की अनेक गाथाओं को भुला दिया गया है, उन्हें सुरक्षित करने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के रास्ते नहीं खोजे गए। इतिहास की उन घटनाओं से हम कितना कुछ सीख सकते थे। भारत की समुंद्री विरासत भी एक ऐसा ही विषय है, जिनके बारे में बहुत कम चर्चा की गई। छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी एक सशक्त नौसेना का गठन किया और विदेशी आक्रांताओं को चुनौती दी। ये सब कुछ भारत के इतिहास का ऐसा गौरवपूर्ण अध्याय है, जिसे नजरअंदाज ही कर दिया गया।
कच्छ में बड़े-बड़े जहाजों का निर्माण होता था
मोदी ने कहा-हजारों वर्ष पहले कच्छ में बड़े-बड़े समुद्री जहाजों के निर्माण का पूरा उद्योग चला करता था। भारत में बने पानी के बड़े बड़े जहाज दुनियाभर में बेचे जाते थे विरासत के प्रति इस उदासीनता ने देश का बहुत बड़ा नुकसान किया। ये स्थिति बदली जानी जरूरी है। लोथल सिर्फ सिंधु घाटी मान्यता का एक बड़ा व्यापारी केंद्र नहीं था, बल्कि ये भारत के समुद्री सामर्थ्य और समृद्धि का भी प्रतीक था। हजारों वर्ष पहले जिस लोथल को जिस तरीके से एक पोर्ट सिटी के रूप में विकसित किया गया था, वो आज भी बड़े-बड़े जानकारों को हैरान कर देता है।
उसी युग को फिर से सजीव करने का प्रयास
मोदी ने कहा-लोथल में ये जो हेरिटेज कॉम्प्लेक्स बन रहा है, उसको ऐसे बनाया जा रहा है कि भारत का सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी इस इतिहास को आसानी से जान सके, समझ सके। इसमें अति आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके, बिल्कुल उसी युग को फिर से सजीव करने का प्रयास किया जा रहा है। हजारों वर्ष पहले का वही वैभव, वही सामर्थ्य इस धरती पर फिर जागृत किया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि ये दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का बहुत बड़ा केंद्र बनेगा। इस कॉम्प्लेक्स को एक दिन में हजारों पर्यटकों के स्वागत के लिए विकसित किया जा रहा है।
जानिए लोथल के बारे में
लोथल दरअसल हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख शहरों में से एक था और यहां पर सबसे पुराने मानव निर्मित गोदी या डॉकयार्ड की खोज होने के लिए यह जाना जाता है। लोथल में एक समुद्री धरोहर परिसर को विकसित किया जाना दरअसल इस शहर की ऐतिहासिक विरासत और धरोहर के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।
लोथल में राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर (एनएमएचसी) को न केवल भारत की समृद्ध और विविध समुद्री धरोहर को प्रदर्शित करने, बल्कि लोथल को एक विश्वस्तरीय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में उभरने में मदद करने के लिए भी विकसित किया जा रहा है जो कि अपनी तरह की एक परियोजना है। इस परियोजना के माध्यम से पर्यटन क्षमता को बढ़ावा देने से इस क्षेत्र में आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
अब जानिए प्रोजेक्ट के बारे में
इस परिसर, जिस पर मार्च 2022 में काम शुरू हुआ था, को लगभग 3500 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है। इसमें कई नवीन और अनूठी विशेषताएं होंगी जैसे कि हड़प्पा वास्तुकला और जीवन शैली को फिर से जीवंत करने के लिए लोथल मिनी रिक्रिएशन; चार थीम पार्क - मेमोरियल थीम पार्क, समुद्री और नौसेना थीम पार्क, जलवायु थीम पार्क और साहसिक और मनोरंजन थीम पार्क; दुनिया का सबसे ऊंचा लाइटहाउस संग्रहालय; हड़प्पा काल से लेकर अब तक भारत की समुद्री धरोहर पर प्रकाश डालने वाली चौदह दीर्घाएं; तटीय राज्यों का मंडप जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विविध समुद्री धरोहर को प्रदर्शित करेगा; इत्यादि।
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