रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध (Russia Ukraine War) ने चलते दुनिया के तमाम देशों की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर डाला है। यूक्रेन और रूस के अलावा, श्रीलंका, पाकिस्तान, पश्चिमी देशों सहित भारत में महंगाई बढ़ी है। जब पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ी हैं, तो उसका असर बाकी चीजों पर भी होना लाजिमी है। महंगाई का असर मुंबई के प्रसिद्ध वडापाव पर भी हुआ है।
मुंबई. जब सब चीजें थोड़ी या ज्यादा महंगी हुई हैं, तो भला मुंबई का वडापाव कहां से अछूता रह सकता था? यानी महंगाई का असर मुंबई के प्रसिद्ध वडापाव पर भी हुआ है। यानी अब इसका स्वाद थोड़ा महंगा पड़ेगा। बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध (Russia Ukraine War) ने चलते दुनिया के तमाम देशों की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर डाला है। यूक्रेन और रूस के अलावा, श्रीलंका, पाकिस्तान, पश्चिमी देशों सहित भारत में महंगाई बढ़ी है। जब पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ी हैं, तो उसका असर बाकी चीजों पर भी होना लाजिमी है। वैसे आपने फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े कलाकारों और अन्य लोगों के मुंह से सुना ही होगा या इंटरव्यू में पढ़ा होगा कि स्ट्रगल के समय में वे वडापाव खाकर ही गुजारा करते थे।
खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ने से वडापाव 2-5 रुपए महंगा
देश में खाद्य तेलों(cooking oil) की कीमतें बढ़ चुकी हैं। इसका असर मुंबई के सबसे किफायती खाद्य पदार्थ वडापाव पर भी हुआ है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते खाद्य तेलों और कमर्शियल सिलेंडर की रेट बढ़ चुकी है। लिहाजा मुंबई में वडापाव के रेट में 2-5 रुपए की वढ़ोतरी हो गई है। मुंबई में हर-गली, जगह पर वडापाव खूब बिकता आया है। लेकिन विक्रेताओं का कहना है कि अब वे पहले की कीमत पर वडापाव नहीं बेच सकते हैं। क्योंकि तेल, मिर्च आदि सभी चीजों के रेट बढ़ गए हैं।
mid-day से चर्चा करते हुए 35 सालों से 'राजमाता वड़ा पाव स्नैक सेंटर' चलाते आ रहे नीलेश ठक्कर ने साफ कहा कि वड़ा पाव को पहले के रेट पर बेचना अब संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कमर्शियल सिलेंडर अब करीब 200 रुपये महंगा हो गया है। सिलेंडर के लिए 2400 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं। रिफाइंड तेल लगभग 1,400- 1,500 रुपये से बढ़कर 2,400 रुपये तक महंगा हो गया है। मिर्च 100 रुपए किलो तक बिक रही है। अगर वे वडापाव के रेट नहीं बढ़ाएंगे, तो नुकसान होगा।
क्या आपको पता है वडापाव का इतिहास
वडापाव का इतिहास बस करीब 56 साल पुराना माना जाता है। इसे मुंबई के एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के अशोक वैद्य ने सबसे पहले तैयार किया था। 1966 में मुंबई में शिवसेना का प्रभाव बढ़ रहा था। अशोक वैद्य उसके कार्यकर्ता बने थे। शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने अपने सभी कार्यकर्ताओं को व्यवसायी बनने की सलाह दी थी, ताकि उनका परिवार ठीक से चलता रहे। यानी कार्यकर्ता बेकार नहीं बैठें। छोटा-मोटा काम धंधा करते रहें। इसी बात से प्रेरणा लेकर अशोक वैद्य ने दादर रेलवे स्टेशन के बाहर बटाटा वड़ा (आलू वड़ा) का स्टॉल शुरू किया था। यह इतना फेमस हुआ कि आज मुंबई में वडापाव सबसे अधिक बिकने वाला स्नैक्स है।