जंग शुरू होने के बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन से PM Modi ने दूसरी बार की बात, भारतीयों को निकालने पर हुई चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की है। जंग छिड़ने के बाद दोनों नेताओं की यह दूसरी बार बातचीत थी। इस दौरान भारतीय लोगों की सुरक्षित वापसी पर चर्चा हुई है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 2, 2022 3:59 PM IST / Updated: Mar 02 2022, 10:54 PM IST

नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूस द्वारा किए गए हमले (Russia Ukraine War) के चलते हजारों भारतीय यूक्रेन में फंस गए हैं। यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए भारत सरकार ऑपरेशन गंगा चला रही है। इसका असर भी दिख रहा है और बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों को अपने देश लाया गया है। बुधवार शाम को यूक्रेन संकट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्च स्तरीय बैठक की। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की है। जंग छिड़ने के बाद दोनों नेताओं की यह दूसरी बार बातचीत थी। दोनों नेताओं ने यूक्रेन की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने विशेष रूप से खार्किव जहां कई भारतीय छात्र फंसे हुए हैं की स्थिति के बारे में बात की और संघर्ष क्षेत्रों से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी पर चर्चा की।

यूक्रेन से निकले 17 हजार भारतीय
करीब 17000 भारतीय नागरिक यूक्रेन से बाहर निकल गए हैं। पड़ोसी देशों से उन्हें विमान द्वारा भारत लाया जा रहा है। हालांकि अब भी छात्रों की बड़ी संख्या यूक्रेन के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में फंसे हैं। इन्हें निकालने के लिए भारत सरकार रूस की सरकार से बात कर रही है। 

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि कीव स्थित दूतावास को भारतीयों द्वारा सीमा पार करने की सुविधा के लिए लविव में एक अस्थायी कार्यालय स्थापित करने के लिए कहा गया था। इस उद्देश्य के लिए हमारी दूतावास टीम का एक बड़ा हिस्सा अब लविवि में है। हम वहां फंसे नागरिकों को निकालने में सहायता के लिए पूर्वी यूक्रेन पहुंचने के विकल्प तलाश रहे हैं। हम देख रहे हैं कि क्या हमारी टीमें वहां पहुंच सकती हैं। यह आसान नहीं है। क्योंकि रास्ता हर समय खुला नहीं रहता है।

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अनुरोध मिलने पर करेंगे दूसरे देशों की मदद

अरिंदम बागची ने कहा कि हम दूसरे देशों की मदद के लिए हमेशा तैयार हैं। अगर हमें इस पर कोई विशेष अनुरोध मिलता है और हम इसे करने में सक्षम हैं तो हम निश्चित रूप से मदद करेंगे। अब हम अनुमान लगाते हैं कि जनवरी के अंतिम सप्ताह में हमारी सलाह जारी होने के बाद से लगभग 17,000 भारतीय नागरिक यूक्रेन की सीमाओं को छोड़ चुके हैं।

जिन लोगों ने अपना भारतीय पासपोर्ट खो दिया है, उन्हें आपातकालीन प्रमाणपत्र जारी करने के लिए एक तंत्र स्थापित किया गया है। मुझे लगता है कि इससे कई भारतीय छात्रों को मदद मिलेगी। यूक्रेन के विनितसिया में एक भारतीय नागरिक चंदन जिंदल की प्राकृतिक कारणों से मौत हो गई। उनके परिवार के सदस्य भी यूक्रेन में हैं। पूर्वी यूक्रेन के शहर चिंता का विषय बने हुए हैं। कुछ छात्र मंगलवार रात और बुधवार सुबह खार्किव से ट्रेन में सवार हो पाए। हम खार्किव और अन्य शहरों से अपने नागरिकों के सुरक्षित मार्ग के संबंध में रूसी पक्ष के साथ संवाद कर रहे हैं। 

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