सार
यूक्रेन में फंसे पाकिस्तान और तुर्की के छात्र तिरंगा लहराकर अपनी जान बचा रहे हैं। सीमा तक पहुंचने के दौरान वे विभिन्न चेकप्वाइंट पर तिरंगा दिखाते हैं ताकि भारतीय छात्रों की तरह सुरक्षित निकल सकें।
बुखारेस्ट। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला (Russia Ukraine War) किए जाने के चलते यूक्रेन में हजारों की संख्या में भारतीय छात्र फंस गए। यूक्रेन की राजधानी कीव और अन्य शहरों से यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से में इन्हें सड़क मार्ग से पहुंचना पड़ रहा है। रोमानिया, पोलैंड जैसे पड़ोसी देशों में पहुंचने के बाद इन्हें भारत लाया जा रहा है।
यूक्रेन से निकलने के दौरान सड़क पर मौजूद चेक प्वाइंट पर भारतीय छात्र भारत का राष्ट्रध्वज तिरंगा लहराते हैं, जिसके बाद उन्हें सुरक्षित रूप से जाने दिया जाता है। भारत के राष्ट्रीय तिरंगे का इस्तेमाल पाकिस्तान और तुर्की के छात्र भी अपनी जान बचाने के लिए कर रहे हैं। यूक्रेन से लौटे एक मेडिकल छात्र के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई ने यह जानकारी दी है।
यूक्रेन से रोमानिया के बुखारेस्ट शहर पहुंचे एक भारतीय छात्र ने कहा कि राष्ट्रीय झंडे ने उसकी मदद की। इसके साथ ही पाकिस्तान और तुर्की के कुछ छात्र भी तिरंगा झंडा के चलते विभिन्न चेकप्वाइंट से सुरक्षित रूस से निकल सकें। भारतीय छात्र यूक्रेन के पड़ोसी देशों से संचालित 'ऑपरेशन गंगा' के तहत विशेष निकासी उड़ानों को पकड़ने के लिए रोमानियाई शहर पहुंचे। एयर इंडिया, स्पाइसजेट और इंडिगो के विमान यहां से विशेष निकासी उड़ानें भर रहे हैं।
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स्प्रे पेंट और पर्दा से बनाया तिरंगा
दक्षिणी यूक्रेन के ओडेसा से आए एक मेडिकल छात्र ने कहा कि हमें यूक्रेन में कहा गया था कि भारतीय होने और भारतीय ध्वज ले जाने से हमें कोई समस्या नहीं होगी। छात्रों ने बताया कि कैसे उन्होंने भारतीय झंडे तैयार करने के लिए बाजार से स्प्रे पेंट खरीदे। मैं भागकर बाजार गया। कुछ रंग के स्प्रे और एक पर्दा खरीदा। फिर मैंने पर्दा काट दिया और भारतीय तिरंगा बनाने के लिए इसे स्प्रे-पेंट कर दिया। छात्र ने कहा कि यहां तक कि पाकिस्तान और तुर्की के कुछ छात्रों ने भी भारतीय झंडे का इस्तेमाल कर चौकियों को पार किया। तुर्की और पाकिस्तानी छात्र भी भारतीय ध्वज का उपयोग कर रहे थे। भारतीय ध्वज पाकिस्तान और तुर्की के छात्रों के लिए बहुत मददगार था।
ओडेसा से आए छात्र मोलोडोवा से रोमानिया पहुंचे। छात्रों ने कहा कि हमने ओडेसा से बस बुक की और मोलोडोवा सीमा पर आ गए। वहां के नागरिक बहुत अच्छे थे। उन्होंने हमें रोमानिया जाने के लिए मुफ्त आवास, टैक्सी और बसें उपलब्ध कराईं। उन्हें मोल्दोवा में ज्यादा समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। भारतीय दूतावास ने पहले ही व्यवस्था कर ली थी।
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एएनआई ने बताया कि छात्रों ने भारतीय दूतावास के अधिकारियों के प्रति भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनके भोजन और आश्रय की व्यवस्था की। छात्र भारत वापस जाने के लिए अपनी उड़ानों का इंतजार कर रहे थे। एक छात्र ने कहा कि जब कोई छात्र यहां आ रहा होता है तो उसे पहले एक उचित आश्रय में ले जाया जाता है और पंजीकरण के दौरान भोजन उपलब्ध कराया जाता है।