सेव सॉइल अभियान: 7 क्षेत्रों के लिए वैश्विक मृदा बचाव नीति पुस्तिका लॉन्च, 31 देशों के एक्सपर्ट्स शामिल हुए

इस पुस्तिका में मिट्टी को बचाने को लेकर कुछ नीतियां बनाई गई है। इसकी मदद से देश की सरकारें मिट्टी बचाने के लिए काम कर सकती है। इसके अलावा 196 देशओं के लिए मृदा प्रबंधन बाबत विशेष स्थायी पद्धतियों की सिफारिशें भी की गई है।

Kartik samadhiya | Published : Dec 9, 2022 1:30 PM IST / Updated: Dec 09 2022, 07:02 PM IST

नई दिल्ली. वर्ल्ड फेमस सॉइल एक्सपर्ट्स और साइटिस्टों ने सदगुरु के साथ मिलकर एक वैश्विक मृदा बचाव नीति पुस्तिका जारी की है। इस पुस्तिका का लोकार्पण वर्ल्ड सॉइल डे के दिन आयोजित राउंड टेबल सम्मेलन के दौरान किया गया। यह पुस्तिका 7 क्षेत्रों में तैयार की गई है। इसमें अफ्रीका, एशिया, यूरोप, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के अलावा मध्यपूर्वी और उत्तर अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और ओशियानिया शामिल है। 

क्या है पुस्तिका में ?
इस पुस्तिका में मिट्टी को बचाने को लेकर कुछ नीतियां बनाई गई है। इसकी मदद से देश की सरकारें मिट्टी बचाने के लिए काम कर सकती है। इसके अलावा 196 देशओं के लिए मृदा प्रबंधन बाबत विशेष स्थायी पद्धतियों की सिफारिशें भी की गई है।  इसमें 1 हजार से अधिक तरीकों का जिक्र है। 

31 देशों के एक्सपर्ट्स शामिल हुए
इस राउंड टेबल सम्मेलन में 31 देशों से 155 एक्सपर्ट्स शामिल हुए हैं। इनमें UNCCD के सचिव इब्राहिम थिओ, आस्ट्रेलियन कृषि विशेषज्ञ टॉनी रिऔंडो, स्लोवक रीपब्लिक के ग्रामीण विकास व कृषि मंत्रालय के सचिव इंग मार्टिन कोवेक शामिल हुए। इनके अलावा राऊंड टेबल सम्मेलन में  UNCCD के G20 वैश्विक भू विकास अभियान के निदेशक  डॉ मुरळी थम्मरुकुडी भी मौजूद रहे। 

मिट्टी से जुड़े तथ्य प्रस्तुत करना जरूरी
राऊंड टेबल को संबोधित करते हुए सद्गुरु ने वैनानिकों और विशेषज्ञों से कहा- ''मिट्टी बचाने की ज़रूरत के बारे में सरल भाषा में इस तरह से तथ्य प्रस्तुत किए जाने चाहिए कि आम लोग इस मुहिम की गंभीरता तथा वर्तमान स्थिति की तात्कालिकता को समझ सके। दुनिया में सामान्य जनता और राजनेता वर्ग का ध्यान आकर्षित करने के लिए संकट संबंधी तथ्य सरल रूप में प्रस्तुत होने ज़रूरी हैं, तभी सब इससे जुड़ेंगे और बहुत बड़ा फर्क दिखाई देगा।“

राउंड टेबल सम्मेलन में दो प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई। इसमें मिट्टी की गुणवत्ता को लेकर जोर दिया गया। इधर, डॉ मुरली थुम्मरुकुडी ने कहा,"यूरोप संघ के नियम अनुसार मिट्टी संबंधी जागरूकता पर ज़ोर दिया गया है। इसका अर्थ यही है कि लोगो के लिए ज़रूरी है कि वे मिट्टी की महत्ता को समझे।

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