गरीबों के 164 करोड़ रुपए दबाए बैठा है सबसे बड़ा बैंक SBI, सरकार के आदेश के बाद भी नहीं लौटा रहा पैसे

देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई (SBI) गरीबों के 164 करोड़ रुपए नहीं लौटा रहा है। यह पैसे उसने यूपीआई (UPI) के जरिये पेमेंट करने वाले जन धन खाताधारकों से वसूले थे।

Vikash Shukla | Published : Nov 21, 2021 10:30 AM IST

नई दिल्ली। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र बैंक है। बड़े-बड़े उद्योगपति इस बैंक के कर्जदार हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि यह सबसे बड़ा बैंक गरीबों के 164 करोड़ रुपए 2017 से दबाकर बैठा है। जी हां! आपने बिल्कुल सही पढ़ा। एक ताजा रिपोर्ट में आई जानकारी के मुताबिक एसबीआई ने अप्रैल, 2017 से लेकर दिसंबर, 2019 के दौरान प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PM Jan Dhan Yojna) के खाताधारकों से गलत तरीके से वसूले गए रुपए नहीं लौटाए हैं। यह राशि थोड़ी नहीं, बल्कि 164 करोड़ रुपए की है।  आईआईटी (IIT) मुंबई ने यह रिपोर्ट तैयार की है। जन-धन खाता योजना पर तैयार उसकी एक रिपोर्ट के मुताबिक इस शुल्क राशि को वापस लौटाने के लिए सरकार ने आदेश भी दिया था, लेकिन बैंक ने यह राशि अब तक नहीं लौटाई है। 

हर लेनदेन पर 17.70 रुपए वसूली 
रिपोर्ट के मुताबिक, एसबीआई ने अप्रैल, 2017 से लेकर सितंबर, 2020 के दौरान जन-धन योजना के तहत खोले गए साधारण बचत खातों (Saving Accounts) से यूपीआई (UPI)एवं रुपे (Rupay) लेनदेन के एवज में 254 करोड़ रुपए से अधिक शुल्क वसूला था। बैंक ने प्रति लेनदेन हर खाताधारक से 17.70 रुपए का शुल्क वसूला था, जबकि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए देश के दूसरे बैंकों ने ग्राहकों के लिए कई रिवार्ड (Reward) स्कीमें रखीं। गूगल पे (Google Pay) और फोन पे (Phone pay) जैसे ऐप्स में तो अभी भी ये स्कीमें चल रही हैं। यह शुल्क क्यों वसूला गया, इस बारे में एसबीआई ने कोई जवाब नहीं दिया।  

ऐसे वसूला शुल्क 
किसी भी जन धन खाताधारक ने UPI से एक महीने में 4 से अधिक निकासी (Withdrawl) किए तो बैंक ने 17.70 रुपए प्रति लेनदेन शुल्क लिया। लगातार पैसा कटने पर खाताधारकों ने अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर अपनी शिकायत रखी, लेकिन एसबीआई ने कोई कदम नहीं उठाया। एसबीआई के इस कदम ने डिजिटल लेनदेन करने वाले जन-धन खाताधारकों पर उल्टा असर डाला। अगस्त 2020 में एसबीआई के इस रवैये की वित्त मंत्रालय से शिकायत की गई थी तो उसने फौरन एक्शन लिया।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 30 अगस्त, 2020 को बैंकों के लिए यह एडवायजरी जारी की कि एक जनवरी, 2020 से खाताधारकों से लिए गए शुल्क को वापस कर दिया जाए। इसके अलावा भविष्य में इस तरह का कोई शुल्क नहीं वसूलने के भी आदेश दिए गए। इस निर्देश के बाद एसबीआई ने 17 फरवरी, 2021 को जन-धन खाताधारकों से डिजिटल लेनदेन के एवज में लिए गए शुल्क को लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। रिपोर्ट तैयार करने वाले सांख्यिकी प्रोफेसर आशीष दास कहते हैं कि अब भी इन खाताधारकों के 164 करोड़ रुपए लौटाए जाने बाकी हैं।

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