शादी के वादे पर सेक्स केवल तभी रेप माना जाएगा, जब यह पीड़िता की सहमति के बिना हुआ हो : केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने शादी का झांसा देकर रेप के एक मामले की सुनवाई करते हुए निचली अदालत से दोषी ठहराए गए व्यक्ति को बरी किया है। कोर्ट ने कहा कि यह रेप का मामला इसलिए नहीं बनता क्योंकि आरोपी ने सहमति के साथ संबंध बनाए हैं। यह रेप का मामला तभी बनता है, जब पीड़िता की सहमति नहीं ली गई हो। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 7, 2022 12:56 PM IST

कोच्चि। केरल हाईकोर्ट (Kerala High court) ने प्रेमिका के साथ रेप के मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को बरी कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि शादी के वादे पर सेक्स तभी रेप माना जाएगा जब आरोपी ने पीड़िता की निर्णयात्मक स्वायत्तता का उल्लंघन किया हो।

निचली अदालत ने दी थी उम्रकैद की सजा
35 वर्षीय व्यक्ति ने इस मामले में हाईकोर्ट का रुख किया था। उसकी अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस ए मोहम्मद मुस्तक और कौसर एडप्पागथ ने कहा कि यह उसकी इच्छा के विरुद्ध जबरन यौन संबंध बनाने का मामला नहीं है, बल्कि शादी के वादे पर हुआ एक यौन कृत्य था। यहां दोनों की सहमति थी। निचली अदालत ने इस ममले में युवक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसे खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता और आरोपी 10 साल से अधिक समय से रिश्ते में थे और शादी की तैयारी से ठीक पहले दोनों के बीच में संबंध बने। उसने पीड़िता के साथ तीन बार शारीरिक संबंध बनाए।

माता-पिता की स्वीकृति नहीं मिलने से पूरा नहीं कर सका वादा
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्य से पता चलता है कि आरोपी के माता-पिता ने बिना दहेज के शादी को स्वीकार करने का विरोध किया था। इससे पता चलता है कि आरोपी द्वारा किया गया यौन कृत्य पीड़िता से शादी करने के वास्तविक इरादे से किया गया था और वह अपने परिवार के विरोध की वजह से अपना वादा पूरा नहीं कर सका। इस वजह से आरेापी के आचरण को सिर्फ वादे का उल्लंघन माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि दलीलों के आधार पर हमारा विचार है कि आरोपी संदेह का लाभ पाने का हकदार है, क्योंकि अभियोजन यह साबित करने में विफल रहा है कि यौन कृत्य शादी करने के झूठे वादे पर था।

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हमें लोगों की सामाजिक परिस्थिति भी देखनी होगी

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए सबूतों में ऐसा कुछ भी नहीं है जो साबित कर सके कि आरोपी ने दुष्कर्म की नीयत से शादी का झांसा दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी ने यौन संबंध बनाने के बाद दूसरी शादी तय कर ली, इससे यह साबित नहीं होता कि दोनों के बीच सहमति से संबंध नहीं बने। हम लोगों की सामाजिक परिस्थितियों की अनदेखी नहीं कर सकते।  

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