शाहीनबाग में नागरिकता कानून के खिलाफ जारी धरना प्रदर्शन हटाने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रदर्शन के नाम पर रास्ता बंद नहीं किया जा सकता। अब इस मामले में 17 फरवरी को अगली सुनवाई होगी।
नई दिल्ली. शाहीनबाग में नागरिकता कानून के खिलाफ जारी धरना प्रदर्शन हटाने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रदर्शन के नाम पर रास्ता बंद नहीं किया जा सकता। अब इस मामले में 17 फरवरी को अगली सुनवाई होगी।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा, धरना प्रदर्शन अनिश्चित समय के लिए नहीं हो सकता। धरना प्रदर्शन के लिए जगह निश्चित होना चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया।
शाहीनबाग में पिछले 2 महीने से चल रहा प्रदर्शन
नागरिकता कानून के पास होने के बाद से शाहीन बाग में प्रदर्शन चल रहा है। इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले प्रताड़ित अल्पसंख्यकों हिंदू, जैन, सिख, ईसाई, बुद्ध और पारसी को नागरिकता देने का प्रावधान है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कानून संविधान के खिलाफ है। इसमें मुस्लिमों का जिक्र नहीं किया गया।
दिल्ली चुनाव में भी छाया रहा मुद्दा
दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा कोई मुद्दा छाया रहा तो वो था शाहीन बाग। भाजपा ने लगातार इसी मुद्दे पर अपना चुनाव लड़ा। वहीं, केजरीवाल इस मुद्दे से बचते दिखे। हालांकि, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि वे शाहीन बाग का समर्थन करते हैं। इसके बाद से भाजपा और आप एक दूसरे को शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे।
पीएम मोदी ने एक रैली में कहा था कि नागरिकता कानून को लेकर जामिया, शाहीन बाग और सीलमपुर में कई दिनों से प्रदर्शन हो रहे हैं। यह प्रदर्शन सिर्फ एक संयोग हैं? नहीं है। इसके पीछे राजनीति का एक ऐसा डिजायन है, जो राष्ट्र के सौहार्द को खंडित करने वाला है।