Anti Obesity campaign के लिए देवड़ा ने की PM की तारीफ, US का उदाहरण दे बताया क्यों जरूरी है मोटापा रोकना

Published : Mar 20, 2025, 12:20 PM ISTUpdated : Mar 20, 2025, 12:45 PM IST
Milind Deora

सार

राज्यसभा में मिलिंद देवड़ा (Milind Deora) ने मोटापे को लेकर चिंता जताई। उन्होंने बच्चों में बढ़ते मोटापे और इसके आर्थिक प्रभावों पर प्रकाश डाला। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने पर जोर दिया गया।

Anti Obesity campaign: शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा (Milind Deora) ने राज्यसभा में अपने भाषण में Anti Obesity campaign के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने कहा, "आज अगर हम अमेरिका का उदाहरण लें, अमेरिका में मोटापा केवल एक स्वास्थ्य की समस्या नहीं है। मैं मानता हूं कि एक बहुत ही बड़ा आर्थिक संकट भी है। भारत के लिए अमेरिका से क्या सीख है मैं कुछ डाटा हाईलाइट करना चाहूंगा।"

"आज अमेरिका में 42% वयस्क और 20% बच्चे मोटे हैं। सिर्फ दो दशक में 30% की वृद्धि हुई है। अमेरिका में मोटापा संबंधी बीमारी के चलते 1.4 ट्रिलियन डॉलर हर साल खर्च होते हैं। यह उसके जीडीपी का 7 फीसदी है। अमेरिका में तीन में से एक मौत मोटापा संबंधी बीमारी के चलते होती है। यह भारत के लिए सीधा संदेश है कि हमें मोटापा पर अभी काम करना होगा।"

 

 

भारत में 5 साल में पुरुषों में मोटापा 23% हो गया

मिलिंद देवड़ा ने कहा, “प्राइमरी हेल्थ सर्वे डेटा के अनुसार भारत में 5 साल में पुरुषों में मोटापा 19% से बढ़कर 23% हो गया है। महिलाओं में 21% से बढ़कर 24% हो गया है। कई लोगों ने कुपोषण पर बात की। इस मामले में सरकार बेहतरीन काम कर रही है। ग्रामीण इलाके में 5 साल से कम उम्र का 3 में से 1 बच्चा कुपोषण का शिकार है। दूसरी ओर शहरों में बच्चों में मोटापा की परेशानी है। पिछले 10 साल में अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या में 60% की वृद्धि हुई है। 2030 तक भारत में मोटापा से जुड़ी बीमारियों पर होने वाला खर्च जीडीपी के 1.6 फीसदी तक पहुंच सकता है। यह सालाना 7 लाख करोड़ रुपए हो सकता है। मैं मानता हूं कि मोटापा सिर्फ एक स्वास्थ्य की समस्या नहीं है। यह गंभीर आर्थिक चुनौती है। अगर इसे रोका नहीं गया तो इलाज पर खर्च बढ़ने और उत्पादकता घटने से लंबे समय में भारत की उन्नति पर असर डाल सकती है।”

मोटापे को कैसे रोकें?

मोटापे रोकने का सबसे कारगर तरीका है स्वस्थ जीवनशैली अपनाना। आपको सक्रिय रहना चाहिए। स्वस्थ आहार का सेवन करें और पर्याप्त नींद लें। सॉफ्ट ड्रिंक से दूरी बनाकर रखें। मोटापा अक्सर कई रिस्क फैक्टर के जुड़ने से होता है। इसमें आनुवंशिकी, खराब भोजन, सक्रिय नहीं रहना, सेहत और सेहतमंद भोजन तक पहुंच की कमी शामिल है। मोटापे की रोकथाम बचपन में ही शुरू हो जानी चाहिए। हालांकि, स्वस्थ विकल्प चुनना शुरू करने में कभी देर नहीं होती।

बच्चों में मोटापा कैसे रोकें?

मोटापा अक्सर बचपन में ही शुरू हो जाता है। रिसर्च के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को 5 साल की उम्र में मोटापा है तो वयस्क होने पर उसके मोटापे से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है। अगर किसी बच्चे को 5 साल की उम्र में मोटापा नहीं है तो उसके जीवन भर मोटापे का जोखिम काफी कम होता है।

बचपन में मोटापा रोकने के लिए करें ये उपाय

स्वस्थ खाने को बढ़ावा दें: बच्चों को जंक फूड से दूर रखें। आलू के चिप्स जैसे प्रोसेस्ड स्नैक्स की जगह बेक्ड दालचीनी सेब के क्रिस्प जैसे हेल्दी स्नैक्स दें। सॉफ्ट ड्रिंक्स नहीं दें।

सक्रिय रहें: बच्चों को खेलने दें। उन्हें स्कूल के बाद खेलने या साइकिल चलाने दें। 6 से 17 साल की उम्र के बच्चों को रोज 60 मिनट शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए।

पर्याप्त नींद: बच्चे पर्याप्त नींद लें, यह ध्यान रखें। नींद पूरी नहीं होने से मोटापा, टाइप 2 डायबिटिज और अन्य बीमारियां होने का जोखिम अधिक होता है।

स्क्रीन का समय कम से कम करें: बचपन में बहुत अधिक टीवी या मोबाइल फोन देखने से मोटापे का जोखिम होता है। जब भी संभव हो बच्चों को शारीरिक गतिविधि वाले काम करने दें। सोने से कम से कम एक घंटा पहले स्क्रीन बंद कर देना चाहिए।

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