नार्को टेस्ट फेल हुआ तो शातिर आफताब का दिमाग पढ़ने पुलिस कर सकती है ये काम

श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का पॉलीग्राफ टेस्ट हो चुका है। अब पुलिस को इसकी रिपोर्ट का इंतजार है। दूसरी ओर, पुलिस अब 1 दिसंबर को उसका नार्को टेस्ट भी कराने वाली है। अगर आफताब ने नार्को टेस्ट में भी पुलिस को चकमा दे दिया तो फिर पुलिस उसका ब्रेन मैपिंग टेस्ट करा सकती है।

Ganesh Mishra | Published : Nov 30, 2022 10:26 AM IST / Updated: Dec 01 2022, 01:59 PM IST

What is Brain Mapping Test: श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का पॉलीग्राफ टेस्ट हो चुका है। अब पुलिस को इसकी रिपोर्ट का इंतजार है। दूसरी ओर, पुलिस अब 1 दिसंबर को उसका नार्को टेस्ट भी कराने वाली है। हालांकि, अब तक हुए पॉलीग्राफ टेस्ट में पुलिस को कोई खास कामयाबी हासिल नहीं हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर आफताब ने नार्को टेस्ट में भी पुलिस को चकमा दे दिया तो फिर पुलिस उसका ब्रेन मैपिंग टेस्ट करा सकती है। हालांकि, इसके लिए पुलिस को कोर्ट से परमिशन लेनी होगी। क्या होता है ब्रेन मैपिंग टेस्ट और कैसे किया जाता है? आइए जानते हैं।  

क्या होती है ब्रेन मैपिंग?
ब्रेन मैपिंग टेस्ट एक न्यूरोसाइंस तकनीक है, जिसमें आरोपी के मस्तिष्क की हलचलों को बेहद बारीकी से ऑब्जर्व किया जाता है। जांच के दौरान फोरेंसिक एक्सपर्ट आरोपी को क्राइम से जुड़ी चीजों की इमेज दिखाने के साथ ही कुछ आवाजें सुनाते हैं। इसके बाद देखा जाता है कि इन इमेज और आवाज को सुन या देखकर आरोपी के मस्तिष्क में क्या हलचल हुई। इसी आधार पर नतीजे निकाले जाते हैं। टेक्निकल भाषा में इसे ब्रेन इलेक्ट्रिकल ऑसिलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग (BEOS) कहते हैं।  

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किसने किया ब्रेन मैपिंग का आविष्कार?
ब्रेन मैपिंग टेस्ट का आविष्कार अमेरिकी न्यूरोलॉजिस्ट डॉ लारेंस ए फारवेल ने किया था। कहा जाता है कि ब्रेन मैपिंग टेस्ट के परिणाम 99.99 प्रतिशत तक सही होते हैं। हालांकि, फिर भी सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आरोपी की सहमति के बिना इस टेस्ट को नहीं किया जा सकता। बता दें कि शातिर अपराधियों से सच उगलवाने के लिए कई बार ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराना पड़ता है।

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कैसे होता है ब्रेन मैपिंग टेस्ट?
- ब्रेन मैपिंग टेस्ट में सबसे पहले अपराधी को कम्प्यूटर से जुड़ा एक हेलमेट की तरह दिखने वाला हेडबैंड पहनाया जाता है। इसमें कई तरह के सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे होते हैं, जो दिमाग की तरंगों और हलचलों को मापते हैं।  
-  यह हेलमेट इलेक्ट्रोइंसेफ्लोग्राम (EEG) की मदद से अपराधी के मस्तिष्क में होने वाले इलेक्ट्रिकल बिहैवियर को पढ़ता है। 
- इस दौरान फॉरेंसिक एक्सपर्ट अपराधी के सामने क्राइम से जुड़ीं चीजों की तस्वीरें, वीडियो और आवाजें दिखाते या सुनाते हैं। इन्हें देखने-सुनने के बाद अपराधी के दिमाग में जो भी हलचल होती है, या उसका दिमाग जो रिएक्ट करता है उसे एक्सपर्ट मॉनिटर करते हैं। 
- इस दौरान मस्तिष्क में होन वाले बदलावों को तरंगों के जरिए देखकर ये पता लगाया जाता है कि सामने वाला कितना सच या झूठ बोल रहा है। इस दौरान पी-300 तरंगे पैदा होती हैं। ये तरंगे तभी बनती हैं, जब अपराधी का उन तस्वीरों या आवाजों से कोई संबंध होता है। 

श्रद्धा मर्डर केस में अब तक क्या-क्या हुआ?
- 8 मई को आरोपी आफताब श्रद्धा के साथ दिल्ली पहुंचा। करीब हफ्ते भर बाद दोनों 15 मई को छतरपुर के एक फ्लैट में शिफ्ट हो गए। 
- 18 मई को श्रद्धा से झगड़े के बाद रात 10 बजे आफताब ने उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी। इसकी बाद लाश के 35 टुकड़े कर उन्हें फ्रिज में रख दिया।
- इसके बाद वो रोज एक-एक टुकड़ा महरौली के जंगल में अलग-अलग जगहों पर फेंकता रहा। उसने ऐसा 18 दिनों तक किया। 
- 22 से 24 मई के बीच आफताब ने श्रद्धा वालकर के खाते से करीब 54 हजार रुपए निकाले। 
- 31 मई को आफताब ने दोस्त लक्ष्मण नडार को श्रद्धा के ही इंस्टाग्राम अकाउंट से मैसेज किया। ताकि किसी को शक न हो। 
- 6 अक्टूबर को श्रद्धा के पिता ने बेटी के अपहरण की शंका को लेकर महाराष्ट्र में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। 
- महाराष्ट्र पुलिस ने इस रिपोर्ट के करीब 20 दिन बाद यानी 26 अक्टूबर को आफताब को पूछताछ के लिए वसई बुलाया। 
- 8 नवंबर को श्रद्धा के पिता अपनी बेटी की तलाश करते हुए दिल्ली पहुंचे। जब वो उन्हें नहीं मिली तो उन्होंने पुलिस में शिकायत की। 
- इसके बाद 12 नंवबर को दिल्ली पुलिस ने आरोपी आफताब को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। 
- 14 नंवबर को पुलिस आफताब के फ्लैट पर पहुंची, जहां उसके किचन में खून के धब्बे मिले। 
- अगले दिन 15 नवंबर को पुलिस ने आफताब के साथ महरौली के जंगल में श्रद्धा की लाश के टुकड़ों की तलाश की। लगातार 3 दिन तक तलाशी चली, जिसमें पुलिस को 17 टुकड़े मिले। इनकी DNA जांच कराई जा रही है। 
- 22 नवंबर को साकेत कोर्ट ने आफताब की रिमांड 4 दिनों के लिए बढ़ाई। इसके अगले दिन 23 नवंबर को उसका पॉलीग्राफ टेस्ट शुरू हुआ। 
- 26 नवंबर को कोर्ट ने आफताब की पुलिस कस्टडी 13 दिनों के लिए बढ़ा दी है। फिलहाल उसे तिहाड़ जेल की सेल नंबर 4 में रखा गया है। 
- 28 नवंबर को पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद तिहाड़ जेल लाते समय आफताब की वैन पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। हालांकि, पुलिस की सतर्कता के चलते उन्हें पहले ही पकड़ लिया गया। 
- 29 नवंबर को कोर्ट ने आफताब अमीन पूनावाला का नार्को टेस्ट कराने की मंजूरी दी। पॉलीग्राफ के बाद 1 दिसंबर को नार्को टेस्ट किया जाएगा। 

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