केवल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ही नहीं पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी उद्घाटन कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया था।
Ram Mandir issue: अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाने पर राहुल गांधी के आरोपों का खंडन मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने किया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपक राय ने कहा कि राहुल गांधी ने गलत जानकारी अपने भाषण में दी। केवल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ही नहीं पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी उद्घाटन कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया था। दरअसल, टाइम्स ऑफ इंडिया के दिल्ली संस्करण में राहुल गांधी का एक बयान छपा है जिसमें यह आरोप लगाया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आदिवासी होने की वजह से राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान नहीं बुलाया गया।
क्या है श्रीराम मंदिर जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट का बयान?
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने एक बयान जारी कर कहा कि टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क के नाम से गांधीनगर से एक समाचार टाइम्स आफ़ इण्डिया 30 अप्रैल दिल्ली संस्करण में प्रकाशित हुआ है। समाचार में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के गांधीनगर के भाषण का उल्लेख किया गया है। राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा है कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में भारत की राष्ट्रपति महोदया को आदिवासी होने के कारण आमंत्रित नहीं किया गया। राहुल गांधी जी के भाषण के ये वाक्य पूर्णतः असत्य, निराधार व भ्रामक है। राहुल गांधी को स्मरण कराना चाहूंगा कि महान भारत की राष्ट्रपति महोदया आदरणीया द्रोपदी मूर्मू जी एवं पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविद जी दोनों को श्री रामजन्मभूमि मन्दिर में रामलला के नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर आमन्त्रित किया गया था। श्री राम जन्मभूमिमंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से जुड़े हुए संत महापुरुष, गृहस्थजन और जीवन के भिन्न भिन्न क्षेत्रों में यश प्राप्त करने वाले, भारत का गौरव बढ़ाने वाले सज्जनों को आमंत्रित किया गया था। मन्दिर में सेवारत श्रमिक कार्यक्रम में सम्मिलित रहे, अल्पसंख्यक उपस्थित रहे। इतना ही नहीं प्राण प्रतिष्ठा पूजन विधि के समय मंदिर के गूढ़ मण्डप में अनुसूचित जाति, जनजाति व अति पिछड़ा वर्ग के गृहस्थों को पूजन करने का अवसर मिला। तीन मास पूर्व सम्पन्न हुए कार्यक्रम के बारे में तथ्यों की खोज बीन किए बिना ही, असत्य, निराधार व भ्रामक भाषण समाज में भेदभाव पैदा कर सकता है। भाषण के ये अंश हमारे लिए गम्भीर आपत्तिजनक हैं।
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