पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने पांचों राज्यों के प्रमुखों को हटाने का फैसला किया था। इसके तहत अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से भी इस्तीफा मांगा था। बुधवार को सिद्धू ने पार्टी अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
नई दिल्ली। पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने पांचों राज्यों के प्रमुखों को हटाने का फैसला किया था। इसके तहत अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu)से भी इस्तीफा मांगा था। बुधवार को सिद्धू ने पार्टी अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया। लेकिन सिद्धू ने इस्तीफे में न ताे हार की जिम्मेदारी ली और न ही पार्टी की हार का जिक्र किया। इस्तीफे में सिद्धू ने सिर्फ 17 शब्द लिखे हैं। अंग्रेजी में लिए गए इस पत्र में कहा गया है - कांग्रेस अध्यक्ष की मर्जी के मुताबिक मैं पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं।
सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद मांगा था इस्तीफा
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव (Elections 2022) में मिली करारी हार और पंजाब खोने के बाद कांग्रेस ने दो दिनों तक ताबड़तोड़ बैठकें कीं। इनमें तय हुआ कि हार की जिम्मेदारी अकेले सोनिया गांधी और गांधी परिवार की नहीं, बल्कि हर नेता, कांग्रेस और पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों की है। इसके बाद सोनिया गांधी ने इन राज्यों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्षों से इस्तीफा मांगा था। इन राज्यों में अब कांग्रेस फिर से अध्यक्षें की नियुक्ति करेगी। इस आदेश के बाद सबसे पहले यूपी और उत्तराखंड के अध्यक्षों ने इस्तीफा दिया था। यूपी के अजय कुमार लल्लू और उत्तराखंड के कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दिया था।
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2017 में 77 सीटें जीती थीं, इस बार 18 ही बचीं
2017 में हुए चुनावों में कांग्रेस ने पंजाब में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। 117 में से 77 सीटें जीतकर वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। कैप्टन के नेतृत्व में चार साल सरकार ठीक चल रही थी, लेकिन सिद्धू की एंट्री के बाद से कांग्रेस अपने ही गढ़ में लड़खड़ाने लगी। सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी पूरी तरह बिखर गई। कैप्टन का इस्तीफा हुआ और चन्नी को सीएम बनाया गया। इससे भी सिद्धू संतुष्ट नहीं हुए। चुनावों के दौरान कई बार आरोप लगे कि सिद्धू चन्नी को हराने के लिए काम कर रहे हैं। इस दौरान आम आदमी पार्टी ने पंजाब में अपनी जड़ें मजबूत कीं और 92 सीटें जीतकर कांग्रेस को चारों खाने चित कर दिया। चुनावी रणनीतिकार इस हार में सबसे बड़ी भूमिका सिद्धू की मानते हैं, जबकि सिद्धू ने आज तक हार की जिम्मेदारी नहीं ली।
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