Explainer: मुख्तार अंसारी का निधन, जानें क्या है Slow Poison, मौत के बाद कैसे लग सकता है इसका पता

दिल का दौरा पड़ने से जेल में बंद मुख्तार अंसारी की मौत हो गई। उनके बेटे उमर अंसारी ने आरोप लगाया है कि पिता को Slow Poison दिया गया। इसकी जांच की जा रही है।

नई दिल्ली। गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की मौत गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से हो गई। वह उत्तर प्रदेश के बांदा के जेल में बंद थे। उन्हें रात 8.25 बजे "बेहोशी की हालत" में अस्पताल लाया गया। मुख्तार को उल्टी हुई थी। 9 डॉक्टरों की टीम ने देखभाल की लेकिन जान नहीं बच सकी। इससे पहले मंगलवार को मुख्तार को पेट दर्द होने पर अस्पताल लाया गया था। अंसारी के शव का पोस्टमार्टम हुआ। इसकी वीडियोग्राफी कराई गई। विसरा संभालकर रखा गया है। 

मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने दावा किया है कि उनके पिता को जेल में "धीमा जहर" (Slow Poison) दिया गया था। पिछले सप्ताह मुख्तार ने बाराबंकी कोर्ट में अर्जी देकर कहा था कि उन्हें खाने के साथ कुछ 'जहरीला पदार्थ' दिया जा रहा है। अंसारी ने दावा किया कि 19 मार्च को खाना खाने के बाद उनकी नसों और अंगों में दर्द होने लगा। बाद में दर्द पूरे शरीर में फैल गया।

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क्या होता है धीमा जहर?

मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उन्हें धीमा जहर देने के आरोप की खूब चर्चा है। आइए जानते हैं धीमा जहर क्या होता है। वे सभी चीजें जहर हैं जो अपनी रासायनिक क्रियाओं से इंसान को मारती या घायल करती हैं। जहर में अत्यधिक जहरीले रसायन शामिल होते हैं। ये इंसान के शरीर में जाने के लिए नहीं होते। जैसे साइनाइड, पेंट थिनर, या घरेलू सफाई उत्पाद। बहुत से जहर ऐसे हैं जिन्हें निगल लेने, सांस के माध्यम से लेने या किसी और तरीके से शरीर में डालने पर तुरंत असर होता है। पीड़ित में गंभीर लक्षण दिखते हैं। उसे मतली, उल्टी, दर्द, सांस लेने में परेशानी, दौरा, भ्रम या त्वचा का रंग बदलना जैसे लक्षण दिखते हैं। ऐसा होने पर पीड़ित को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

धीमा जहर ऐसे जहर को कहा जाता है जिसे दिए जाने पर पीड़ित के शरीर में लक्षण घंटों, दिनों या महीनों तक दिखाई नहीं देते हैं। इस तरह का मामला अधिक खतरनाक होता है, क्योंकि पीड़ित को इलाज की जरूरत महसूस नहीं होती और जब लक्षण दिखते हैं तब तक काफी देर हो गई होती है।

मौत के बाद कैसे लग सकता है जहर का पता?

संदिग्ध स्थिति में किसी व्यक्ति की मौत होती है तो मौत का कारण जानने के लिए पोस्टमॉर्टम कराया जाता है। जहर दिए जाने का शक हो और पोस्टमॉर्टम के बाद भी स्थिति साफ नहीं हो तो विसरा की जांच कराई जाती है। अगर किसी व्यक्ति को मारने के लिए जहर का इस्तेमाल किया गया है तो इसका पता लगाने के लिए फोरेंसिक टॉक्सिकोलॉजी में विसरा महत्वपूर्ण साक्ष्य है।

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क्या है विसरा?

विसरा शव से लिए गए खास सैंपल को कहते हैं। इसमें शरीर के कोमल आंतरिक अंगों (जिनमें फेफड़े, हृदय और पाचनतंत्र, उत्सर्जन और प्रजनन प्रणाली के अंग शामिल हैं) के छोटे हिस्से को कलेक्ट किया जाता है। बाद में विसरा की जांच होती है। अगर किसी व्यक्ति की मौत जहर के चलते हुई है तो उसके शरीर के आंतरिक अंगों में जहर का असर रहता है। पीड़ित को कौन सा जहर दिया गया यह जानने के लिए विसरा की टॉक्सिकोलॉजिकल जांच कराई जाती है। जांच से पता चल जाता है कि मृतक को कौन सा जहर दिया गया।

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