ट्रेन टिकट का खर्च और घर पहुंचने पर 500 रुपए देंगे...मजदूरों को वापस लाने में ऐसे शुरू हुई राजनीति

सोनिया गांधी ने कहा कि जो मजदूर देश की रीढ़ हैं, इस मुश्किल घड़ी में उन्हें हर मदद दी जानी चाहिए, इसलिए कांग्रेस ने फैसला किया है कि मजदूरों का रेल किराया कांग्रेस वहन करेगी। सोनिया गांधी के इस बयान के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।  
 

Asianet News Hindi | Published : May 4, 2020 11:22 AM IST

नई दिल्ली. लॉकडाउन में मजदूरों को घर लाने के लिए ट्रेन चलाने का फैसला लिया गया है। लेकिन इस बीच खबर आई कि यात्रा के लिए प्रवासी मजदूरों से टिकट का पैसा लिया जा रहा है। अब सोनिया गांधी ने कहा कि जो मजदूर देश की रीढ़ हैं, इस मुश्किल घड़ी में उन्हें हर मदद दी जानी चाहिए, इसलिए कांग्रेस ने फैसला किया है कि मजदूरों का रेल किराया कांग्रेस वहन करेगी। सोनिया गांधी के इस बयान के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।  

- भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया, श्रमिकों को रेल का किराया नहीं भरना है। किराए का 85% केंद्र और 15% प्रदेश देंगे। अगर श्रमिकों की चिंता थी, तो राजनीति करने की जगह सोनिया गांधी को कांग्रेस शासित प्रदेशों को 15% खर्चा भरने के लिए कहना था। मगर वो हिंदुस्तान को इटली बनाना चाहती है, ताकि लाशों पर राजनीति कर सकें।

बिहार के सीएम ने कहा, प्रदेश सरकार उठाएगी खर्च
सोनिया गांधी के बयान के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा, बाहर से आए लोगों को स्टेशन से उनके निवास स्थान के प्रखंड मुख्यालय ले जाया जाएगा। जब वो 21दिनों के क्वारंटीन के बाद वहां से निकलेंगे तो उन्हें रेल भाड़े से लेकर यहां पहुंचने में जितना खर्च आया वो उसके अलावा 500रुपए तथा 1000रुपए की अतिरिक्त राशि सरकार देगी। 

मध्य प्रदेश के सीएम ने कहा, राज्य सरकार उठाएगी खर्च
मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने भी फैसला किया है कि दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों की घर वापसी का खर्च राज्य सरकार उठाएगी।

रेलवे ने कहा, हमने कोई टिकट नहीं बेचा
प्रवासी मजदूरों से किराया वसूलने के मुद्दे पर चल रही राजनीति के बीच रेलवे ने साफ किया है कि उसने प्रवासी मजदूरों से कोई किराया नहीं वसूला है।समाचार एजेंसी एएनआइ ने रेल मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया है कि रेलवे ने प्रवासी मजदूरों को कोई टिकट नहीं बेचा है।

- न्यूज एजेंसी के मुताबिक सूत्र ने बताया कि रेलवे राज्य सरकारों से इस श्रेणी के लिए स्टैंडर्ड किराया ही चार्ज कर रही है, जो कि सफर में आने वाली लागत का महज 15% हिस्सा है। सिर्फ उन्हीं यात्रियों को ट्रेनों में बैठाया जा रहा है, जिनकी जानकारी राज्य सरकारें दे रही हैं। सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से ट्रेन की कई बर्थ खाली रखी जा रही हैं।

Share this article
click me!