कौन हैं साउथ कश्मीर की माहिरा शाह? बना दिया दुनिया का सबसे छोटा मंडल आर्ट, इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज

बचपन की रूचियां कैसे किसी इंसान का पैशन बन जाती हैं, यह साबित किया है दक्षिण कश्मीर की रहने वाली माहिरा शाह ने। माहिरा ने दुनिया का सबसे छोटा शिकारा मंडल बनाकर इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराया है।

 

World's Smallest Mandala. बचपन की रूचियां कैसे किसी इंसान का पैशन बन जाती हैं, यह साबित किया है दक्षिण कश्मीर की रहने वाली माहिरा शाह ने। माहिरा ने दुनिया का सबसे छोटा शिकारा मंडल बनाकर इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराया है। परिवार के लोगों ने माहिरा की इस उपलब्धि पर खुशी जताई है।

क्या होता है मंडला आर्ट

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मंडला आर्ट भारत की बहुत प्राचीन विधा है। भारतीय कला पैटर्न के इस डिजाइन में सर्कल्स का चित्रण किया जाता है। भारतीय कलाकार एसएच रजा ने इस आर्ट को लोकप्रिय बनाया था। उन्होंने मंडला आर्ट के कई चित्र बनाए और दुनिया भर में इस कला को पहचान दिलाई। अब माहिरा शाह ने इस कला पैटर्न में कमाल की उपलब्धि हासिल की है। लगभग ए3 साइज के शीट पर माहिरा ने दुनिया की सबसे छोटी मंडला शिकारा बनाया है जिसकी वजह से उनका नाम इंडियन बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कराया गया है।

माहिरा शाह ने क्या कहा

दक्षिण कश्मीर के अपने घर से बात करते हुए माहिरा ने एजेंसी को बताया कि जब भी खाली वक्त मिलता था तो मैं मंडला आर्ट में हाथ आजमाती थी। मेरे परिवार खासकर मेरे ससुर और पति ने इसे देखा और मेरी प्रतिभा की सराहना की। उन्होंने ही मुझे प्रोत्साहित किया। पुलवामा जिले के त्राल कस्बे में पैदा हुईं माहिरा की शादी पहलगाम में रहने वाले इनामुल हक के साथ हुई है। इनामुल हक अपनी पत्नी की उपलब्धि पर बेहद खुश हैं और गर्व महसूस करते हैं। वे माहिरा के काम की खुले दिल से प्रशंसा भी करते हैं।

परिवार ने पहचानी प्रतिभा

माहिरा के पति इनामुल हक ने कहा कि उसने विश्व रिकॉर्ड तोड़ने और एक नया रिकॉर्ड बनाने के इरादे से काम किया। उसने शिकारा, चरखा और कांगड़ी (विकर और मिट्टी से बना एक कश्मीरी आग का बर्तन) जैसी कई मंडल कला कृतियां बनाईं हैं। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने उसे स्वीकार किया है। माहिरा स्वर्ण पदक के लिए नामांकित हुई हैं और मुझे गर्व है और मैं उनका आभारी हूं। वहीं माहिरा के ससुर मुश्ताक अहमद शाह ने कहा कि जब उन्होंने अपनी बहू की प्रतिभा पर ध्यान दिया तो बहू को उसकी कला को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। पेशे से शिक्षक शाह ने कहा कि मैं उसे अपनी बेटी की तरह मानता हूं। मैंने उसे अपनी रुचि के हिसाब से काम करने के लिए समर्थन किया। शाह ने कहा कि उनके परिवार के लिए माहिरा का यह रिकॉर्ड ईद से पहले का तोहफा था। ऐसा लगता है जैसे हमने उपवास के महीने से पहले ही जश्न मनाया और हम बेहद खुश हैं। हालांकि माहिरा उदास हैं कि प्रशासन से कोई भी उसके प्रयास की सराहना करने नहीं आया। कहा कि यह सिर्फ मेरी उपलब्धि नहीं है बल्कि यह पहलगाम, त्राल और पूरे कश्मीर के साथ भारत की भी उपलब्धि है।

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