गृह मंत्रालय (MHA) को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), 2019 के नियमों को तैयार करने के लिए स्टैंडिंग कमेटी ने 3 महीने का और समय दे दिया है। यानी अब यह पांच राज्यों में चुनाव के बाद होगा। इससे पहले भी सरकार दो बार समय ले चुकी है। बता दें कि CAA का विरोध भी हो रहा है।
नई दिल्ली. गृह मंत्रालय (MHA) को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), 2019 के नियमों को तैयार करने के लिए स्टैंडिंग कमेटी से तीन महीने का और समय मिल गया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को कहा कि स्टैंडिंग कमेटी ने सरकार को तीन महीने का समय और दे दिया है। यानी अब यह पांच राज्यों में चुनाव के बाद होगा। बता दें कि 8 जनवरी को 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित की गई थीं। इनमें उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), पंजाब (Punjab), उत्तराखंड (Uttarakhand), गोवा (Goa) और मणिपुर (Manipur) शामिल हैं। पांचों राज्यों को मिलाकर 7 चरणों में चुनाव होगा। शुरुआत 10 फरवरी को उत्तर प्रदेश से होगी। सभी राज्यों के चुनावों के नतीजे 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे।
'द हिंदू' की रिपोर्ट के अनुसार 9 जनवरी तीसरी डेट समाप्त हो गई। लेकिन मंत्रालय ने नियमों को अधिसूचित(notify) नहीं किया। राज्यसभा के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मंत्रालय ने एक नई तारीख मांगी थी। अधीनस्थ विधान समिति के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा पंजाब चुनाव के कारण यात्रा पर हैं। नियम बनाए बिना नोटिफिकेशन जारी नहीं किया जा सकता है।
दो बार पहले भी मिल चुका है समय
इससे पहले 9 अप्रैल, 2021 और फिर 9 जुलाई, 2021 तक समितियों से नियमों को अधिसूचित करने के लिए समय मांगा गया था, जिन्हें भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया जाना है। अगर संसदीय कार्य नियमावली के अनुसार, मंत्रालय/विभाग कानून पारित होने के बाद छह महीने की निर्धारित अवधि के भीतर नियम नहीं बना पाता है, तो वो अधीनस्थ विधान संबंधी समिति से बाजिव कारण बताते हुए समय बढ़ाने की मांग कर सकता है। एक बार में यह समयावधि तीन महीने से अधिक नहीं हो सकती। हालांकि पिछली बार छह महीने के लिए एक्सटेंशन दिया गया था।
11 दिसंबर, 2019 को पारित हुआ था CAA
सीएए को 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। इसे 12 दिसंबर को राष्ट्रपति से स्वीकृति मिली थी। जनवरी, 2020 में गृह मंत्रालय ने अधिसूचित किया था कि CAA 10 जनवरी, 2020 से लागू होगा।
यह है CAA
सीएए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह गैर-दस्तावेज गैर-मुस्लिम समुदायों को धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है। इसका फायदा उन्हें मिलेगा, जो 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत में रह रहे हों। यह छह समुदायों के सदस्यों को विदेशी अधिनियम, 1946 के तहत किसी भी आपराधिक मामले से छूट देता है। यानी जो पासपोर्ट अधिनियम, 1920 यानी वे 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में निवास कर रहे हों।
NRC पर अभी कोई फैसला नहीं
इससे पहले नवंबर, 2021 में केंद्र सरकार ने लोकसभा में लिखित जवाब में बताया था कि देशभर में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(NRC) को लागू करने पर फिलहाल कोई विचार नहीं है। हालांकि CAA लागू होते ही कानून के दायरे में आने वाले लोग भारत में नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। बता दें कि अवैध घुसपैठ को रोकने केंद्र सरकार ने NRC को लागू करने का फैसला किया था। हालांकि CAA के साथ इसका भी विरोध हो रहा है।
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