भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने सात न्यायिक अधिकारियों और दो अधिवक्ताओं को विभिन्न हाईकोर्ट्स में जज के रूप में प्रमोशन देने के लिए हरी झंड़ी दे दी है।
Supreme Court collegium: सुप्रीम कॉलेजियम ने मंगलवार को हाईकोर्ट्स में 9 जजों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने सात न्यायिक अधिकारियों और दो अधिवक्ताओं को विभिन्न हाईकोर्ट्स में जज के रूप में प्रमोशन देने के लिए हरी झंड़ी दे दी है।
किस-किस को मिला हाईकोर्ट के जज के रूप में प्रमोशन
कॉलेजियम ने ज्यूडिशियल ऑफिसर रामचंद्र दत्तात्रेय हड्डर और वेंकटेश नाइक थावरनाइक को कर्नाटक हाईकोर्ट में जज के रूप में प्रमोट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके पहले कॉलेजियम ने अधिवक्ता नागेंद्र रामचंद्र नाइक को भी कर्नाटक हाईकोर्ट में जज के रूप में प्रमोट किए जाने की सिफारिश की थी, इस सिफारिश को पुन: कॉलेजियम ने दोहराया है। इसी तरह कॉलेजियम ने सीनियर एडवोकेट नीला केदार गोखले को बॉम्बे हाईकोर्ट के जज के रूप में प्रमोशन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
आंध्र प्रदेश व गोवाहाटी हाईकोर्ट के लिए इन नामों की सिफारिश
कॉलेजियम ने गोवाहाटी हाईकोर्ट में जज बनाने के लिए न्यायिक अधिकारी मृदुल कुमार कलिता के नाम की सिफारिश को मंजूरी दी है। इसी तरह आंध्र प्रदेश में कॉलेजियम ने ज्यूडिशियल अधिकारियों पी.वेंकट ज्योतिर्मय और वी.गोपालकृष्ण राव के नामों को हाईकोर्ट के जज के रूप में प्रमोशन के लिए सिफारिश को मंजूरी दे दी है।
मणिपुर हाईकोर्ट के लिए इन दो नामों को मंजूरी
मणिपुर उच्च न्यायालय में न्यायिक अधिकारियों अरिबम गुनेश्वर शर्मा और गोलमेई गैफुलशिलु काबुई को न्यायाधीश के रूप में प्रमोशन के लिए कॉलेजियम ने प्रस्ताव को हरी झंड़ी दे दी है।
कॉलेजियम ही जजों को करता है नियुक्त, सरकार चाहती है बदलाव
कॉलेजियम को लेकर केंद्र सरकार व सुप्रीम कोर्ट में हमेशा टकराव बना रहता है। केंद्र सरकार कॉलेजियम सिस्टम को बदलना चाहती है। बीते दिनों ही केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि देश में यह लग रहा है कि सरकार न्यायपालिका में हस्तक्षेप कर रही है। लेकिन संविधान की भावनाओं का ख्याल रखने के लिए ऐसा किया जा रहा है। संविधान के अनुसार जजों की नियुक्ति में सरकार का पूरा अधिकार है। लेकिन 1993 के बाद पूरा सिस्टम बदल दिया गया और कॉलेजियम लागू कर दिया गया। इससे सरकार की भूमिका सीमित हो गई। रिजिजू ने संसद को जबतक जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव नहीं होता, जजों की नियुक्तियों का मामला ऐसी उठता रहेगा और समस्या बनी रहेगी। पढ़ें पूरी खबर...
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