ट्रिब्यूनल में वैकेंसी न भरे जाने पर SC ने केंद्र सरकार पर दिखाई नाराजगी-क्या हम उन्हें बंद कर दें

ट्रिब्यूनल में खाली पड़ी वैकेंसी भरने को लेकर केंद्र सरकार के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। SC ने सख्त लहजे में कहा कि या तो वो(SC) उन्हें बंद कर दे या फिर खुद अपॉइंटमेंट करे।

नई दिल्ली. विभिन्न ट्रिब्यूनल में खाली पड़ीं वैकेंसी भरने को लेकर हो रही लेटलतीफी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में केंद्र सरकार पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि वो(केंद्र सरकार) उसके संयम की परीक्षा न ले। दरअसल, केंद्र सरकार ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म एक्ट पास नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब उसके पास तीन ही विकल्प हैं। कानून पर रोक, ट्रिब्यूनल बंद कर दें और सारे अधिकार कोर्ट को सौंप दें। इसके अलावा तीसरा विकल्प है कि सुप्रीम कोर्ट खुद अपॉइंटमेंट कर लें। बता दें कि मेंबर्स अपॉइमेंट नहीं होने से NCLT और NCLAT जैसे ट्रिब्यूनल में कामकाज बंद पड़ा है।

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सुप्रीम कोर्ट ने की यह टिप्पणी
चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव ने इस मामले में नाराजगी दिखाते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि ट्रिब्यूनल में अब तक कितने लोगों को अपॉइंट किया गया है? SC ने कहा कि आपने कहा था कि इसमें कुछ लोगों को अपॉइंट किया जा चुका है, बताइए वे कहां हैं?

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केंद्र सरकार ने फिर मांगी मोहलत
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सर्च और सिलेक्शन कमेटी की रिकमेंडेशन पर फाइनेंस मिनिस्ट्री 2 हफ्ते में फैसला लेने वाली है। इसलिए उन्हें अपना जवाब रखने के लिए 2-3 दिन का समय दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई अगले सोमवार को होगी और उसे उम्मीद है कि तब तक अपॉइटमेंट हो जाएंगे।

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कांग्रेस सांसद ने दायर की थी पिटीशन
ट्रिब्यूनल रिफॉर्म एक्ट को लेकर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने एक पिटीशन दायर की थी। इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया है। कांग्रेस सांसद की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे हैं। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोर्ट जिन प्रावधानों को खत्म कर चुका है, केंद्र ने उन्हें दुबारा लागू कर दिया है।

केंद्र सरकार को कड़ी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि अगर उसे सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों पर भरोसा नहीं है, तो फिर कोई विकल्प नहीं बचता है। SC ने कहा कि मद्रास बार एसोसिएशन का फैसला अटॉर्नी जनरल की दलील सुनने के बाद ही दिया गया था। इस पर भी अगर आदेश की अवहेलना की जा रही है, तो इसे क्या समझा जाए? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायिका इस फैसले को आधार को छीन सकती है, लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं बना सकती, जिसे फैसला रोका जा सके।

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सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी भी की
सरकार ट्रिब्यूनल को शक्तिहीन बना रही है। अपॉइंटमेंट नहीं होने से कई ट्रिब्यूनल बंद होने की स्थिति में हैं। 
 

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