'नोटबंदी को गैरकानूनी घोषित करना होगा' बनाम 'फैसला वैध', जानें सुप्रीम कोर्ट के जजों ने क्या कहा

केंद्र सरकार द्वारा 2016 में लिए गए नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वैध बताया है। कोर्ट ने माना कि केंद्र सरकार का फैसला ठीक है। वहीं, एक जज ने नोटबंदी के फैसले को गलत बताया और कहा कि इसे गैरकानूनी घोषित करना होगा। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 2, 2023 9:02 AM IST / Updated: Jan 02 2023, 02:34 PM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को 4:1 के बहुमत से केंद्र सरकार द्वारा 2016 में लिए गए नोटबंदी के फैसले को बरकरार रखा। सरकार ने 500 और 1000 रुपए के नोट बंद कर दिए थे। पांच जजों की पीठ ने मामले में सुनवाई की थी। पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला नहीं लिया। चार जजों ने नोटबंदी के फैसले को वैध माना। वहीं, एक जज ने कहा कि नोटबंदी को गैरकानूनी घोषित करना होगा। 

जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यन और बीवी नागरत्ना की पांच जजों की बेंच ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने का फैसला सुनाया। नोटबंदी को चुनौती देने के लिए 58 याचिकाएं लगाई गईं थी। पीठ ने 7 दिसंबर, 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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बेंच के चार जजों ने माना कि केंद्र की 8 नवंबर, 2016 की अधिसूचना वैध है। हालांकि, जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इससे असहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले को अच्छी तरह सोच-समझकर और अच्छी नीयत से लिया गया। इसे कानूनी आधार पर (न कि उद्देश्यों के आधार पर) गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए। यह फैसला संसद में कानून बनाकर लिया जाना चाहिए न कि अधिसूचना जारी कर।

जस्टिस गवई ने कहा - संयम बरतना पड़ता है
बहुमत की राय देते हुए जस्टिस गवई ने कहा, "यह माना गया है कि आर्थिक महत्व के मामलों में हस्तक्षेप करने से पहले बहुत संयम बरतना पड़ता है। हम इस तरह के विचारों को न्यायिक आधार पर नहीं बदल सकते। केंद्र और आरबीआई के बीच 6 महीने में परामर्श किया गया था। हम मानते हैं कि इस तरह के उपाय को लाने के लिए एक उचित गठजोड़ थी। हम मानते हैं कि आनुपातिकता के सिद्धांत से विमुद्रीकरण प्रभावित नहीं हुआ था। केंद्र सरकार के पास बैंक नोटों की सभी श्रृंखलाओं के विमुद्रीकरण की शक्ति है। नोटबंदी के फैसले को रद्द नहीं किया जा सकता है।"  

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जस्टिस नागरत्ना ने कहा - बनाना चाहिए था कानून
जस्टिस बी वी नागरत्ना ने कहा, "मैंने नोट किया है कि आरबीआई भारतीय अर्थव्यवस्था का गढ़ है। मैंने दुनिया भर में इस तरह के विमुद्रीकरण के इतिहास का हवाला दिया है। कोर्ट को इसे आर्थिक फैसले के आधार पर नहीं देखना चाहिए। नोटबंदी बैंकों की तुलना में नागरिकों को प्रभावित करने वाला गंभीर मुद्दा है। केंद्र की शक्तियां विशाल हैं। इस फैसले को कानून बनाकर लागू करना चाहिए था। संसद के बिना लोकतंत्र फल-फूल नहीं सकता। संसद को ऐसे महत्वपूर्ण फैसलों पर अलग नहीं छोड़ा जा सकता है। नोटबंदी को गैरकानूनी घोषित करना होगा।"

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