सार
मोदी सरकार के एक बेहद चौंकाने वाले कड़े फैसले यानी नोटबंदी(Demonetisation) को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज(2 जनवरी) अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे दी है। इसके खिलाफ 58 याचिकाएं लगाई गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने सभी अर्जियां खारिज कर दीं। 8 नवंबर 2016 के दिन रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में नोटबंदी का एलान किया था।
नई दिल्ली. मोदी सरकार के एक बेहद चौंकाने वाले कड़े फैसले यानी नोटबंदी(Demonetisation) को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज(2 जनवरी) अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे दी है। इसके खिलाफ 58 याचिकाएं लगाई गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने सभी अर्जियां खारिज कर दीं। सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि वे साथी जजों से सहमत हैं, लेकिन उनके तर्क अलग हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था की दीवार है। हमें आर्थिक या वित्तीय निर्णय के गुण दोष नहीं निकालने हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच विचार-विमर्श हुआ था। यानी नोटबंदी का फैसला लेते समय प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी। लिहाजा उस अधिसूचना को रद्द करने की कोई जरूरत है। यानी जस्टिस बीवी नागरत्ना ने फैसले पर अपनी अपनी असहमति जाहिर की। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला कानून लाकर ही होना चाहिए था। सिर्फ एक गजट नोटिफिकेशन लाकर नहीं। नागरत्न ने कहा कि संसद देश की परछाई है। लोकतंत्र के केंद्र संसद को इतने गंभीर मुद्दे पर दूर नहीं रखा जा सकता है।
8 नवंबर 2016 के दिन रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में नोटबंदी का एलान किया था। इसमें 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य कर दिया था। यानी ये करेंसी प्रचलन से बाहर हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 7 दिसंबर को केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले से जुड़े रिकॉर्ड पेश करने को कहा था।
जानिए नोटबंदी से जुड़ीं ये महत्वपूर्ण बातें
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदम्बरम, श्याम दीवान समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन पर रोकथाम के लिए यह ऐतिहासिक कदम उठाया था। हालांकि भारत अकेला ऐसा देश नहीं है, जहां नोटबंदी की गई थी। दुनिया के कई देशों में दशकों पहले अर्थव्यवस्था में सुधार, कालेधन पर रोक जैसे कई कारणों से डिमॉनेटाइजेशन या विमुद्रीकरण (Demonetisation) जैसे कदम उठाए जा चुके हैं। डिमॉनेटाइजेशन सबसे पहले अमेरिका में 149 वर्ष पूर्व हुआ था। क्लिक करके पढ़ें डिटेल्स
इससे पहले नोटबंदी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 12 अक्टूबर, 2022 को केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने दोनों से पूछा था कि 1000 और 500 के नोट को किस कानून का इस्तेमाल कर बंद किया गया था? नोटबंदी को लेकर दाखिल याचिकाओं पर 5 जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई की थी। इस पीठ में जस्टिस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना शामिल रहे।
चिदंबरम ने कोर्ट को बताया कि 1978 में विमुद्रीकरण एक अलग कानून द्वारा किया गया था। 2016 में 86.4 फीसदी लीगल टेंडर को अवैध कर दिया गया था। आरबीआई अधिनियम की धारा 26 केवल किसी भी मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की किसी विशेष श्रृंखला के विमुद्रीकरण से संबंधित है, न कि सभी श्रृंखला के बैंक नोटों से। सभी श्रृंखला के बैंक नोटों के विमुद्रीकरण के लिए अलग कानून की आवश्यकता होती है।
वैसे कहा जा रहा है कि नोटबंदी के बाद से देश में कैश सर्कुलेशन 71.84 फीसदी बढ़ चुका है। जब नोटबंदी की घोषणा की गई थी, तब 4 नवंबर 2016 को देश में 17.7 लाख करोड़ रुपए का कैश था। वहीं, अक्टूबर,2021 तक यह आंकड़ा बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपए बताया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को वैधानिकता को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं को अस्वीकार कर दिया है...कांग्रेस पार्टी ने भी इस पर हंगामा खड़ा किया था। नोटबंदी के अगले साल ही टैक्स कलेक्शन में 18% की वृद्धि हुई थी और 2.38 लाख शेल कंपनियां भी पकड़ी गई थीं-भाजपा सांसद रवि शंकर प्रसाद
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