रमन सरकार के चहेते आईपीएस गुरजिंदर पाल की गिरफ्तारी पर रोक, CJI की यह टिप्पणी है नजीर

Published : Aug 26, 2021, 02:45 PM IST
रमन सरकार के चहेते आईपीएस गुरजिंदर पाल की गिरफ्तारी पर रोक, CJI की यह टिप्पणी है नजीर

सार

सीनियर आईपीएस गुरजिंदर पाल सिंह एंटी करप्शन के छत्तीसगढ़ राज्य के मुखिया थे। वह बीजेपी की रमन सिंह सरकार के सबसे चहेते पुलिस अधिकारियों में थे। 

नई दिल्ली। रमन सिंह सरकार के चहेते आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। अवैध संपत्ति और राजद्रोह का केस झेल रहे गुरजिंदर पाल सिंह को उच्चतम न्यायालय ने गिरफ्तारी से राहत दे दी है। कोर्ट ने अरेस्ट से राहत देने के साथ ही गुरजिंदर पाल सिंह को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया है। 

चीफ जस्टिस ने वरिष्ठ आईपीएस को राहत देने के साथ सख्त टिप्पणी भी की है। चीफ जस्टिस ने कहा कि जब कोई सत्ताधारी पार्टी के लिए काम करता है तो सत्ता बदलने पर ऐसे आरोप तो झेलने ही पड़ते हैं। कोर्ट का साफ इशारा उन अधिकारियों की ओर था जो कानून के लिए कम सत्ताधारी दलों के नेताओं को खुश करने में अधिक लगे रहते हैं। 

एंटी करप्शन के मुखिया गुरजिंदर पाल सिंह पर राजद्रोह का भी आरोप

सीनियर आईपीएस गुरजिंदर पाल सिंह एंटी करप्शन के छत्तीसगढ़ राज्य के मुखिया थे। वह बीजेपी की रमन सिंह सरकार के सबसे चहेते पुलिस अधिकारियों में थे। बीजेपी की सरकार जाते ही सिंह की दिक्कतें शुरू हो गई। उन पर कई केस दर्ज किए गए। 

आर्थिक अपराध शाखा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने छापे मारते हुए 10 करोड़ रुपए से अधिक की आय से अधिक संपत्ति का पता लगाने का दावा किया है। उनके ठिकानों में मारे गए छापे के दौरान कंप्यूटर से मिली सामग्री के आधार पर उन पर सरकार के खिलाफ साजिश करने का भी आरोप लगा है। इस सिलसिले में उन पर आईपीसी की धारा 124ए के तहत राजद्रोह का भी मुकदमा दर्ज किया गया है।

राज्य सरकार ने कर दिया था निलंबित

कई गंभीर आरोप लगने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने गुरजिंदर पाल सिंह को निलंबित कर दिया था। 5 जुलाई को उनके निलंबन का आदेश जारी हुआ। निलंबित होने के बाद से ही एडीजी रैंक के आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह फरार चल रहे हैं। अरेस्ट से बचने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। 
गुरजिंदर पाल सिंह की ओर से वरिष्ठ वकील फली नरीमन पेश हुए और पूरी कार्यवाही को दुर्भावनापूर्ण बताया। 

चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने राज्य सरकार की तरफ से पूर्व एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी पेश हुए। उन्होंने बताया कि सभी मुकदमे ठोस प्राथमिक सबूतों के आधार पर दर्ज किए गए हैं।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने निलंबित आईपीएस की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी। साथ ही कोर्ट ने उनसे जांच में सहयोग करने के लिए कहा है। 

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी है काफी महत्वपूर्ण

सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमना ने बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि ‘यह देखा जा रहा है कि कुछ पुलिस अधिकारी सत्ताधारी दल के लिए काम करते हैं। उन्हें खुश करने के लिए पॉवर का दुरुपयोग करते हैं। विपक्षी नेताओं को परेशान करते हैं। फिर जब सत्ता परिवर्तन होता है, तो नई सरकार ऐसे अधिकारी को निशाने पर लेती है।‘
 

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