EVM-VVPAT मामला: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा, 'पवित्र होना चाहिए चुनाव'

EVM-VVPAT मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि चुनाव में पवित्रता होनी चाहिए। इसपर किसी तरह की आशंका नहीं होनी चाहिए।

 

Vivek Kumar | Published : Apr 18, 2024 7:43 AM IST / Updated: Apr 18 2024, 01:35 PM IST

नई दिल्ली। EVM (Electronic Voting Machines) से डाले गए सभी वोटों का मिलान VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) से निकलने वाली पर्ची से कराए जाने की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान चुनाव आयोग से कोर्ट ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया में पवित्रता होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से EVM के साथ VVPAT पर्चियों को क्रॉस-वेरिफाई करने के चरणों के बारे में विस्तार से बताने को कहा है।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान पीठ ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया पर किसी को आशंका नहीं होनी चाहिए कि कुछ गलत किया जा रहा है। याचिकाकर्ता के वकील निजाम पाशा ने पीठ से कहा कि मतदाता को वोट देने के बाद वीवीपैट से पर्ची लेने और उसे खुद मतपेटी में जमा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसपर जस्टिस खन्ना ने पूछा कि क्या इससे मतदाता की गोपनीयता प्रभावित नहीं होगी। 

Latest Videos

एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वीवीपैट मशीन की लाइट हर समय जलती रहनी चाहिए। अभी यह सात सेकंड तक जलती है। रोशनी जलते रहने से मतदाता पर्ची कटते और गिरते देख पाएंगे। इससे किसी भी गोपनीयता से समझौता नहीं होगा। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील संजय हेगड़े ने कहा कि मतगणना प्रक्रिया में अधिक विश्वसनीयता के लिए अलग से ऑडिट होना चाहिए।

वीवीपैट प्रिंटर में नहीं होता सॉफ्टवेयर

चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ईवीएम की कंट्रोल यूनिट वीवीपैट को उसकी पेपर स्लिप प्रिंट करने का आदेश देती है। यह पर्ची सीलबंद बक्से में गिरने से पहले सात सेकंड के लिए मतदाता को दिखाई देती है। इस दौरान वोटर देख सकते हैं कि उन्होंने किसे वोट दिया है। मतदान से पहले इंजीनियरों की मौजूदगी में मशीनों की जांच की जाती है।

इसपर कोर्ट ने पूछा कि क्या वीवीपैट प्रिंटर में कोई सॉफ्टवेयर है? मनिंदर ने कहा कि वीवीपैट प्रिंटर में सॉफ्टवेयर नहीं है। इसमें 4 मेगाबाइट की फ्लैश मेमोरी है। यह चुनाव चिह्न स्टोर करती है। रिटर्निंग अधिकारी इलेक्ट्रॉनिक मतपत्र तैयार करते हैं। इसे सिंबल लोडिंग यूनिट में लोड किया जाता है। यह एक सीरियल नंबर, उम्मीदवार का नाम और सिंबल देगा। कुछ भी पहले से लोड नहीं किया जाता है।

यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2024 पहला चरण: नितिन गडकरी से लेकर नकुल नाथ तक ये हैं मुख्य उम्मीदवार, जानें जरूरी बातें

कोर्ट ने पूछा कि मतदान के लिए कितनी सिंबल लोडिंग इकाइयां बनाई गई हैं? मनिंदर सिंह ने जवाब दिया कि आम तौर पर एक निर्वाचन क्षेत्र में एक सिंबल लोडिंग इकाई होती है। मतदान होने तक इसकी जिम्मेदारी रिटर्निंग अधिकारी के पास रहती है। कोर्ट ने पूछा कि क्या इस इकाई को यह सुनिश्चित करने के लिए सील किया जाता है कि कोई छेड़छाड़ न हो। चुनाव आयोग ने जवाब दिया कि वर्तमान में ऐसी प्रक्रिया नहीं है। सभी वोटिंग मशीनें मॉक पोल प्रक्रिया से गुजरती हैं। वीवीपैट से निकली पर्चियों का मिलान किया जाता है।

यह भी पढ़ें- भाजपा के इस मुस्लिम उम्मीदवार को सुननी पड़ रही 'हराम' की गाली, बताया- कैसे लोग दुखाते हैं दिल

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

स्टाफ तक पहुंचा CM सुखविंदर सुक्खू का समोसा और केक, CID को मिला जांच का आदेश । Himachal Pradesh
'सपा-कांग्रेस में हो गया तलाक' खटाखट से सफाचट तक सुनिए क्या बोले Yogi Adityanath
US Election Results 2024 के बाद एलन मस्क ने कनाडा PM ट्रूडो को लेकर कर दी भविष्यवाणी । Donald Trump
'कठिन साधना से कम नहीं है छठ पूजा का पर्व' PM Modi ने बताया Chhath Puja का महत्व, देखें Video
सपा पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया सबसे बड़ा तंज, बन गया नया नारा #Shorts