Supreme Court सख्त: तेलंगाना हाईकोर्ट जज पर झूठे आरोप लगाने वालों को माफी का आदेश

Published : Aug 12, 2025, 12:11 AM ISTUpdated : Aug 12, 2025, 12:12 AM IST
Supreme Court  Of india

सार

Contempt of Court: Supreme Court ने कहा High Court Judges किसी भी तरह से Supreme Court Judges से कम नहीं। Telangana HC Judge पर झूठे आरोप लगाने वाले वकील और याचिकाकर्ता को एक हफ्ते में बिना शर्त माफी मांगने का आदेश।

SC Contempt case: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट कहा कि हाईकोर्ट जजों को किसी तरह से सुप्रीम कोर्ट के जजों से कम नहीं आंका जा सकता। हाईकोर्ट के जजों पर बिना वजह आरोप लगाना वकीलों में नई ट्रेंड बन गया है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एक मामले में एपेक्स कोर्ट ने बिना शर्त माफी मांगने का आदेश दिया।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी आर गवई (CJI BR Gavai), जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस अतुल एस चंदूरकर की बेंच, तेलंगाना हाईकोर्ट के एक जज के मामले में सुनवाई कर रही थी। कोर्ट, तेलंगाना हाई कोर्ट के एक जज पर लगाए गए झूठे और अपमानजनक आरोप के मामले में सुनवाई कर रहा था। बेंच ने याचिकाकर्ता एन पेड्डी राजू (N Peddi Raju) और उनके वकीलों को एक हफ्ते के अंदर बिना शर्त माफी (Unconditional Apology) मांगने का आदेश दिया।

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तेलंगाना हाईकोर्ट जज का क्या है मामला?

यह केस उस समय शुरू हुआ जब तेलंगाना हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी (A Revanth Reddy) के खिलाफ SC/ST Act के तहत दर्ज एक आपराधिक मामला खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर पिटिशन (Transfer Petition) दायर कर हाई कोर्ट जज पर पक्षपात और अनुचित आचरण के आरोप लगाए। 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी और कहा कि ऐसे अपमानजनक आरोप अदालत की अवमानना (Contempt of Court) हैं।

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टॉप कोर्ट के बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हाईकोर्ट जजों को भी वही संवैधानिक इम्युनिटी है जो सुप्रीम कोर्ट के जजों को है। सिर्फ इसलिए कि किसी राजनीतिक शख्सियत का केस है, ये मान लेना कि न्याय नहीं मिला, गलत है।

कोर्ट ने कहा कि जब ड्राफ्ट वोटर लिस्ट बनती है, हमें आपत्ति दर्ज करानी चाहिए, चुप नहीं रहना चाहिए। अदालतें वकीलों को दंडित करने में कोई खुशी नहीं पातीं लेकिन गरिमा की रक्षा जरूरी है।

बिना शर्त संजय हेगड़े को माफी

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि माफी पत्र हाई कोर्ट जज के सामने पेश किया जाए और जज एक हफ्ते के अंदर इस पर फैसला लें। सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े (Sanjay Hegde) ने कोर्ट में पहले ही बिना शर्त और बिना आरक्षण माफी दी है।

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