शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज, 1946 का फैसला बरकरार रहेगा
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर आज बड़ा फैसला सुना रहा है। पहली याचिका पर बेंच ने शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया। 1946 का फैसला बरकरार रहेगा। 1946 में फैजाबाद कोर्ट के फैसले के खिलाफ शिया वक्फ कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। शिया वक्फ बोर्ड ने जमीन हिंदू पक्ष को देने के लिए भी कहा था।
1946 में कोर्ट ने मस्जिद को सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताया था
शिया वक्फ बोर्ड ने 1946 के ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें मस्जिद को सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताया गया था। शिया वक्फ बोर्ड का कहना था कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मंदिर को गिराकर किया गया था।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच ने इस मामले में 40 दिन में 172 घंटे तक की सुनवाई की थी। बेंच में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर भी शामिल हैं।
40 दिन लगातार सुनवाई के बाद SC ने फैसला सुरक्षित रखा था
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में 2.77 एकड़ जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 2010 के इलाहाबाद के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 याचिका दायर की गईं थीं।
मध्यस्थता विफल होने के बाद रोजाना सुनवाई कर रहा था सुप्रीम कोर्ट
मध्यस्थता प्रयास विफल हो जाने के बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 सदस्यों की बेंच इस मामले में रोजाना यानी हफ्ते में पांच दिन सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता समिति बनाई थी। मध्यस्थता समिति पूर्व जस्टिस एफएम कलिफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल थे। 18 जुलाई को मध्यस्थता पैनल ने स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। उस वक्त चीफ जस्टिस ने समिति से जल्द ही अंतिम रिपोर्ट पेश करने को कहा था। बेंच ने कहा था कि मध्यस्थता से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला तो रोजाना सुनवाई पर विचार करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गईं थीं
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट अयोध्या में 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन समान हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। पहला-सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गईं हैं। बेंच इन सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही है।