आपने सुप्रीम कोर्ट को पोस्ट ऑफिस बना दिया है...वंदे भारत ट्रेन की नई स्टॉपेज के लिए केरल के अधिवक्ता की याचिका पर CJI ने लगाई फटकार

वंदे भारत ट्रेन को तिरुर में रोके जाने की याचिका की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने की है।

Vande Bharat stoppage at Tirur: केरल के एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में पीटिशन दायर कर यह अपील की कि वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को उसके गृह जिला में स्टॉपेज दिलाया जाए। याचिकाकर्ता की अपील पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि आपने शीर्ष अदालत को डाकघर में तब्दील कर दिया है। अब आप हमसे यह भी तय कराना चाहते हैं कि ट्रेन कहां रुके? वंदे भारत के बाद आप दिल्ली-मुंबई राजधानी एक्सप्रेस को भी रोकवाना चाहेंगे। कोर्ट ने साफ कहा कि यह एक नीतिगत मामला है, आप अधिकारियों के पास जाएं।

किसने की सुनवाई?

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वंदे भारत ट्रेन को तिरुर में रोके जाने की याचिका की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने की है। केरल के 39 वर्षीय अधिवक्ता पीटी शीजिश की याचिका पर बेंच सुनवाई कर रही थी। शीजिश की मांग थी कि वंदे भारत ट्रेन का स्टॉपेज उनके गृह जिले तिरुर में भी हो। इस पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने फटकार लगाते हुए कहा कि आप चाहते हैं कि हम तय करें कि वंदे भारत ट्रेन कहां रुकेगी? क्या हमें आगे दिल्ली-मुंबई राजधानी को रोकना चाहिए? यह एक नीतिगत मामला है, अधिकारियों के पास जाएं।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट को कम से कम सरकार को इस प्रतिनिधित्व पर विचार करने के लिए कहना चाहिए लेकिन सीजेआई ने कहा कि वह हस्तक्षेप नहीं करेंगे क्योंकि ऐसा लगेगा कि अदालत ने इस मामले में संज्ञान लिया है।

स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के लोगों के साथ अन्याय

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी वाला है और कई लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, फिर भी जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है। तिरुर को मलप्पुरम जिले की ओर से एक स्टॉप आवंटित किया गया था लेकिन भारतीय रेलवे ने स्टॉप वापस ले लिया और इसके बजाय एक और रेलवे स्टेशन- पलक्कड़ जिले में शोर्नूर आवंटित किया गया। यह तिरुर से लगभग 56 किमी दूर है। आरोप लगाया कि ऐसा राजनीतिक कारणों से किया गया। उन्होंने तर्क दिया कि तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत पूर्वाग्रह का कारण बनता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह रेलवे का मामला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रेन के लिए दिए जाने वाले स्टॉप एक ऐसा मामला है जिसे रेलवे द्वारा निर्धारित किया जाना है। किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रुकना चाहिए। प्रत्येक जिले में कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद के रेलवे स्टेशन पर स्टॉप उपलब्ध कराने के लिए मांग करने लगे तो हाई स्पीड ट्रेन स्थापित करने का उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा।अव्यक्तिगत या निहित स्वार्थों के आधार पर मांग पर रेलवे स्टॉप प्रदान नहीं किया जाना चाहिए, विशेष रूप से वंदे भारत ट्रेन जैसी हाई स्पीड एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए। यदि जनता की मांग पर स्टॉप प्रदान किए जाते हैं तो एक्सप्रेस ट्रेन शब्द अपने आप में एक मिथ्या नाम बन जाएगा। वंदे भारत ट्रेन राज्य के एक छोर - तिरुवनंतपुरम से दूसरे छोर कासरगोड तक चलती है और उसी दिन वापस आती है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पहले केरल हाईकोर्ट भी याचिका को खारिज कर चुका है।

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