रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में क्यों हुई खारिज?

सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु का राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की याचिका दाखिल की गई थी, जिसे कोर्ट ने सुनवाई से इंकार करते हुए खारिज कर दिया है।

 

Ram sethu National Monument. राम सेतु के राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। राम सेतु को एडम्स ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। यह चूना पत्थरों से बना पुल है, जो तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित पंबन द्वीप को श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप को जोड़ता है। यह स्थान आध्यात्मिक और सांस्कृति महत्व के लिए भी जाना जाता है। इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। जिस पर कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया है।

राम सेतु स्थल पर दीवार बनाने की हुई थी मांग

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सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका के माध्यम से रामसेतु स्थल के पास दर्शन के लिए दीवार बनाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया कि यह प्रशासनिक निर्णय है। कोर्ट दीवार का निर्माण कराने का आदेश कैसे दे सकती है। कोर्ट ने दीवार का आदेश देने के अधिकार पर भी सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने इस जनहित याचिका को दूसरी याचिका के साथ विलय करने से इनकार कर दिया। जिसमें रामसेतु को स्मारक या राष्ट्रीय विरासत स्थल घोषित करने की मांग की गई थी। यह याचिका हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा दायर की गई थी। इसका प्रतिनिधित्व लॉ बोर्ड के अध्यक्ष अशोक पांडे ने किया। मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की बेंच ने की।

क्या है रामसेतु

राम सेतु को एडम्स ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। यह चूना पत्थरों से बना पुल है, जो तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित पंबन द्वीप को श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप को जोड़ता है। यह स्थान आध्यात्मिक और सांस्कृति महत्व के लिए भी जाना जाता है। जनहित याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से स्वीकार किया कि प्रशासनिक निर्णय उसी स्तर पर होने चाहिए। हर काम के लिए कोर्ट से आदेश लेने की परंपरा गलत है। यह काम संबंधित अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र का मामला है।

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