सुप्रीम कोर्ट से उद्धव ठाकरे को झटका, चुनाव आयोग तय करेगा कौन है असली शिवसेना, कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार

Published : Sep 27, 2022, 05:21 PM ISTUpdated : Sep 27, 2022, 05:57 PM IST
सुप्रीम कोर्ट से उद्धव ठाकरे को झटका, चुनाव आयोग तय करेगा कौन है असली शिवसेना, कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार

सार

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार गिरने के बाद एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा था। शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के बाद सबसे अधिक विधायक व सांसद हैं। शिंदे गुट ने चुनाव आयोग में दावा किया है कि उनका गुट ही असली शिवसेना है। 

नई दिल्ली। महाराष्ट्र की सियासत के केंद्र रहे ठाकरे परिवार को लगातार झटका ही मिल रहा है। सत्ता गंवाने के बाद अब पार्टी भी हाथ से जाती हुई दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शिवसेना के असली हकदार के बारे में पता लगाने के लिए चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले से जहां उद्धव कैंप को झटका लगा है वहीं एकनाथ शिंदे गुट को यह इनकार किसी संजीवनी से कम नहीं। दरअसल, चुनाव आयोग में यह अपील की गई है कि वह तय करे कि उद्धव गुट वाली शिवसेना असली है या एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना असली है। उद्धव ठाकरे की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने की अपील की गई थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस सुनवाई का ऐतिहासिक लाइव किया गया है।

दरअसल, महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार जून में गिर गई थी। ठाकरे के सहयोगी एकनाथ शिंदे ने तीन दर्जन से अधिक विधायकों के साथ बगावत कर दी थी। शिवसेना में विघटन के बाद उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद बागी विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 30 जून को शिंदे ने बीजेपी के सहयोग से महाराष्ट्र में नई सरकार बनाई। डिप्टी सीएम के रूप में बीजेपी कोटे से देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ली थी। 

दोनों गुट पहंचे थे सुप्रीम कोर्ट...

बीते 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुटों द्वारा दायर याचिकाओं को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेज दिया था। दोनों गुटों के असली शिवसेना होने के दावों के अलावा दलबदल, विलय और अयोग्यता से संबंधित कई संवैधानिक प्रश्नों को लेकर संवैधानिक पीठ को सुनवाई करनी थी। 

मंगलवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाएं दलबदल करने वाले विधायकों की अयोग्यता, अध्यक्ष व राज्यपाल की शक्ति और न्यायिक समीक्षा पर महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दों को उठाती हैं। उद्धव ठाकरे गुट ने कोर्ट से कहा था कि एकनाथ शिंदे गुट के विधायक किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय करके ही संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से बच सकते हैं। जबकि शिंदे गुट की ओर से अधिवक्ता ने तर्क दिया कि दलबदल विरोधी कानून उस नेता के लिए हथियार नहीं हो सकता जिसने अपनी ही पार्टी का विश्वास खो दिया हो। ठाकरे गुट ने अपील किया कि चुनाव आयोग को शिंदे गुट द्वारा दायर याचिका में असली शिवसेना पर फैसला की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।

यह भी पढ़ें:

जेपी नड्डा लोकसभा चुनाव 2024 तक बने रह सकते हैं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, शाह की तरह बढ़ेगा कार्यकाल

असम: 12 साल में उग्रवादियों से भर गए राज्य के जेल, 5202 उग्रवादी गिरफ्तार किए गए, महज 1 का दोष हो सका साबित

PREV

Recommended Stories

हुमायूं कबीर कौन, जिन्होंने बाबरी मस्जिद के लिए इकट्ठा किया करोड़ों का चंदा
Indigo Crisis Day 7: इंडिगो ने दिया ₹827 करोड़ का रिफंड, यात्रियों को लौटाए 4500 बैग