
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने 11 साल की बच्ची का रेप और मर्डर करने वाले एक दोषी की फांसी की सजा पर रोक लगा दी है। इस व्यक्ति ने अपने साथी मजदूर की बेटी की 11 साल की बच्ची से हैवानियत करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand high court) ने इस मामले में आरोपी काे फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने दोषी जयप्रकाश तिवारी की फांसी की सजा पर रोक लगा दी। कोर्ट ने दोषी का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करने के आदेश दिए हैं। यह पहला मौका है, जब शीर्ष अदालत ने किसी बच्ची के रेपिस्ट और मर्डरर को इस तरह फांसी की सजा के बाद मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के आदेश दिए हैं।
क्या है मामला
मध्यप्रदेश के रहने वाले जयप्रकाश तिवारी ने सहसपुर थाना क्षेत्र के विकासनगर में अपने साथ काम करने वाले मजदूर साथी की बेटी की बेटी के साथ रेप किया था। राज खुलने के डर से उसने बच्ची की हत्या कर दी थी। घटना के बाद तिवारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 201, 376, 377 और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत एफआईआर दर्ज हुई। ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई। 2019 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले पर 2020 में मुहर लगाई थी। दोषी तिवारी ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसे खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि अपीलकर्ता का अपराध इतना क्रूर है कि यह न केवल न्यायिक जागरूक बल्कि समाज के प्रति जागरूक मानस को भी झकझोरता है। कोर्ट ने इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामला बताया था।
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मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के बाद होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को आदेश दिया कि एम्स ऋषिकेश के मनोवैज्ञानिकों की उपयुक्त टीम दोषी जयप्रकाश का सुद्धोवाला जिला जेल में जाकर मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करेगी। कोर्ट ने जेल प्रशासन को दोषी की जांच कराने में पूरा सहयोग करने के आदेश दिए। मूल्यांकन रिपोर्ट 25 अप्रैल तक कोर्ट में पेश करनी है। इसके बाद कोर्ट इस मामले की सुनवाई 4 मई, 2022 को करेगा।
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