Explained: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया क्या फैसला, बहाल होगा राज्य का दर्जा, सितंबर 2024 तक करना है चुनाव

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा किए गए फैसले पर मुहर लगाई है। कोर्ट ने कहा कि धारा 370 अस्थायी प्रबंध था। इसे हटाने का फैसला संवैधानिक है।

 

Vivek Kumar | Published : Dec 11, 2023 7:15 AM IST / Updated: Dec 11 2023, 12:46 PM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के संविधान पीठ ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त करने पर फैसला सुनाया। CJI (Chief Justice of India) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अनुच्छेद 370 हटाने के पक्ष में फैसला सुनाया। पीठ में CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।

सीजेआई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य का दर्जा बहाल करने और 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का निर्देश दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रावधान था।

सीजेआई ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का तर्क कि राष्ट्रपति शासन की स्थिति में संघ अपरिवर्तनीय कार्रवाई नहीं कर सकता स्वीकार्य नहीं है। जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता के विषय पर सीजेआई ने कहा कि भारत में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर ने कोई संप्रभुता बरकरार नहीं रखी। भले ही महाराजा हरि सिंह ने एक उद्घोषणा जारी की कि वह अपनी संप्रभुता बरकरार रखेंगे। आजादी के बाद भारत में शामिल होने वाली हर अन्य रियासत की तरह जम्मू-कश्मीर का भी विलय हुआ।

चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर की कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है। अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की घोषणा के बाद राष्ट्रपति और संसद को राज्यपाल/राज्य विधानमंडल का पद संभालने में कोई बाधा नहीं है।

जस्टिस कौल ने कहा-मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए बने आयोग

जस्टिस कौल ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि वह सीजेआई के फैसले से सहमत हैं। जम्मू-कश्मीर संविधान का उद्देश्य राज्य में रोजमर्रा का शासन सुनिश्चित करना था। अनुच्छेद 370 का उद्देश्य राज्य को भारत के साथ एकीकृत करना था। जस्टिस कौल ने कहा, "सेनाएं दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए होती हैं, राज्य में कानून व्यवस्था नियंत्रित करने के लिए नहीं। सेना के प्रवेश ने राज्य में अपनी जमीनी हकीकत पैदा की। पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने भारी कीमत चुकाई है। जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए एक आयोग की स्थापना की जानी चाहिए।"

वहीं, जस्टिस खन्ना ने कहा कि अनुच्छेद 370 असममित संघवाद का उदाहरण है। यह जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता का सूचक नहीं है। अनुच्छेद 370 को हटाने से संघवाद खत्म नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से केंद्र सरकार पर क्या हुआ असर?

केंद्र सरकार की नजर इस बात पर लगी थी कि अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट से क्या फैसला आता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले पर मुहर लगाई है। इससे सरकार के पक्ष को मजबूती मिली है। कोर्ट ने सरकार के फैसले को संवैधानिक बताया है।

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अनुच्छेद 370 (जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति) ने भारतीय संघ में जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था। इसने राज्य के संबंध में केंद्र की विधायी शक्तियों को प्रतिबंधित कर दिया था। इसने राज्य विधायिका को अपना संविधान तैयार करने की विशेष शक्तियां दीं थी। केंद्र ने अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने आर्टिकल 35-A भी हटा दिया था। आर्टिकल 35-A जम्मू और कश्मीर राज्य विधानमंडल को राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेष अधिकारों और विशेषाधिकारों को परिभाषित करने का अधिकार देता था।

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