सार
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) को विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज (सोमवार) को फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की है।
Jammu Kashmir Special Status. जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की वैधता के मामले में सुप्रीम कोर्ट फैसला आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि आर्टिकल 370 अस्थाई व्यवस्था थी। सीजेआई ने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और कोई आतंरिक संप्रभुता नहीं है। सीजेआई ने कहा कि राष्ट्रपति की व्यवस्था को नहीं बदला जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 370 हटाने के फैसले पर सवाल उठाना उचित नहीं है। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि इतने समय के बाद वैधता पर बहस प्रासंगिक नहीं है। कहा कि तीन जजों के अलग-अलग फैसले हैं। सीजेआई ने कहा कि राजय की तरफ से केंद्र के हर फैसला चुनौती के अधीन नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया है ऐतिहासिक फैसला
इस मामले में सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 23 याचिकाएं दायर की गई हैं। सरकार और याचिकाकर्ताओं की तरफ से अपने-अपने तर्क दिए जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने इस मामले में गहरी समीक्षा की है और सोमवार को फैसला आया। यह ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है।
370 खत्म करना सही या गलत- 10 बड़ी बातें
- जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने सुनवाई की है।
- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत ने की सुनवाई।
- इस फैसले से यह भी साफ होगा कि सरकार द्वारा आर्टिकल 370 खत्म करना कानूनी प्रक्रिया और सिद्धांतों के तहत है या नहीं।
- केंद्र सरकार ने तर्क दिया है कि जम्मू कश्मीर में संविधान द्वारा यह आर्टिकल हटाने से ऑटोमैटिक ही विधानसभा का निर्माण हुआ।
- केंद्र का दावा है कि ऐसा होने से राष्ट्रपति शासन या विधानसभा स्थगित होने और संसद की सहमति से कार्यवाही करने का अधिकार मिलता है।
- याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार पर मनमाने तरीके से राज्य के अधिकारों का छीनने का आरोप लगाया है।
- याचिका में कहा गया है कि इससे राज्य के अधिकार और संवैधानिक तौर पर निहित विधानसभा की अवहेलना हुई है।
- तर्क है कि राज्य को विभाजित करने से पहले विधानसभा में निर्वाचित प्रतिनिधियों से सहमति लेना मूलभूत जरूरत थी।
- बिना सहमति के केंद्र ने राज्य की स्वायत्तता का अतिक्रमण किया है। केंद्र-राज्य संबंधों के बुनियादी सिद्धांतों को कमजोर किया।
- अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 हटा दिया गया और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया।
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