'Menstrual Leaves के चलते जा सकती है महिलाओं की नौकरी', सुप्रीम कोर्ट ने इस बड़े मामले पर क्या कहा?

महिलाओं को मासिक धर्म अवकाश (Menstrual Leaves) दिए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर यह अनिवार्य हुआ तो महिलाओं को नौकरी से निकाला जा सकता है।

Vivek Kumar | Published : Jul 8, 2024 10:27 AM IST / Updated: Jul 08 2024, 04:02 PM IST

नई दिल्ली। महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म के समय छुट्टी (Menstrual Leaves) दी जाए। इस मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बातें कहीं। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं के लिए मासिक धर्म की छुट्टी की मांग का उलटा असर हो सकता है। कंपनियां उन्हें काम से निकाल सकती हैं।

कोर्ट ने यह मामला केंद्र सरकार के पास भेजा है। इसके साथ ही निर्देश दिया है कि सरकार सभी हितधारकों के साथ परामर्श कर महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश के संबंध में नीति बनाए। दरअसल, मासिक धर्म की छुट्टी एक तरह की छुट्टी है। महिला कर्मचारी मासिक धर्म आने पर काम पर नहीं जाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकती हैं।

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मासिक धर्म की छुट्टी पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

शैलेंद्र त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें गुहार लगाई गई थी कि कोर्ट राज्यों को महिला छात्राओं और महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश के संबंध में नीति बनाने का निर्देश दे। इस मामले की सुनवाई सीजेआई (Chief Justice of India) डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने की।

मासिक धर्म की छुट्टियां अनिवार्य बनीं तो महिलाएं कार्यबल से बाहर हो जाएंगी

याचिका में कहा गया था कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए मासिक धर्म की छुट्टियां जरूरी हैं। मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर महिलाओं को मासिक धर्म की छुट्टियां देने वाला कानून आता है तो प्राइवेट कंपनियां महिलाओं को नौकरी देना बंद कर सकती हैं। महिलाओं को काम से निकाला जा सकता है। पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि इस तरह की छुट्टी से अधिक महिलाओं को कंपनियां नौकरी दें इसका प्रोत्साहन कैसे मिलेगा? इस तरह की छुट्टी अनिवार्य बनाने से महिलाएं "कार्यबल से बाहर हो जाएंगी...हम ऐसा नहीं चाहते हैं।"

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार बनाए मासिक धर्म की छुट्टियों पर नीति

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार महिलाओं के मासिक धर्म की छुट्टियों पर नीति बनाए। कोर्ट ने कहा, "यह असल में सरकार की नीति का पहलू है। इसे कोर्ट को नहीं देखना चाहिए।" कोर्ट ने याचिकाकर्ता को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के पास जाने को कहा। पीठ ने कहा, "हम सचिव से अनुरोध करते हैं कि वे नीति के स्तर पर मामले को देखें। सभी हितधारकों से बात कर फैसला लें कि क्या एक आदर्श नीति तैयार की जा सकती है।"

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