राफेल पर मोदी सरकार को राहत, रिव्यू पिटीशन खारिज; सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जांच की जरूरत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2018 में राफेल डील पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इस फैसले को प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने चुनौती दी है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 14, 2019 5:18 AM IST / Updated: Nov 14 2019, 12:01 PM IST

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील पर रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट का मानना है कि इसमें कोई नया तथ्य नहीं है। बेंच ने कहा कि राफेल डील पर जांच की जरूरत नहीं है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2018 में राफेल डील पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इस फैसले को प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस मामले में 10 मई को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

क्या कहा कोर्ट ने? 
- राफेल पर रिव्यू पिटीशन खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने अपना 14 दिसबंर 2018 का फैसला बरकरार रखा।
-  राफेल डील में सीबीआई जांच से भी सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। 
- हालांकि, बेंच ने कहा कि अगर सीबीआई चाहे तो वह जांच कर सकती है, लेकिन हम किसी जांच एजेंसी से कार्रवाई के लिए नहीं कहेंगे। 
- सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के माफीनामे को स्वीकर करते हुए नसीहत दी कि भविष्य में कोर्ट से जुड़े किसी भी मामले में किसी भी प्रकार का राजनीतिक भाषण देने में सतर्कता बरतें।

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चौकीदार चोर है' को लेकर राहुल पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी पर अवमानना याचिका पर भी फैसला सुनाया। इस दौरान बेंच ने 'चौकीदार चोर है' नारे पर राहुल गांधी के माफीनामे को स्वीकार कर लिया। हालांकि. कोर्ट ने राहुल गांधी को नसीहत दी कि भविष्य में कोर्ट से जुड़े किसी भी मामले में किसी भी प्रकार का राजनीतिक भाषण देने में सतर्कता बरतें। पीएम को लेकर यह दुर्भाग्यपूर्ण बयान है। 

राहुल ने चुनाव के दौरान कोर्ट के हवाले से कहा था चौकीदार चोर है
राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के दौरान कोर्ट के एक फैसले के हवाले से कहा था कि अब कोर्ट में भी साबित हो गया कि चौकीदार चोर है। इस बयान के खिलाफ भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने भाजपा के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। 10 मई को ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

14 दिसबंर 2018 को क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 को राफेल डील में केंद्र सरकार को क्लीनचिट दी थी। बेंच ने कोर्ट की निगरानी में जांच समिति के गठन से इनकार कर दिया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस डील की प्रक्रिया में कोई संदेह नहीं दिखता। बेंच ने कहा था कि राफेल की कीमत में जाना हमारा काम नहीं है। राफेल की कीमत को लेकर जांच की जरूरत नहीं है। इसके बाद यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने जनवरी में पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की थीं। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कुछ त्रुटिया हैं। 

राफेल डील क्या है? 
भारत ने फ्रांस से 36 राफेल की डील की है। दसॉल्ट के साथ हुए 59 हजार करोड़ रुपए के इस समझौते के तरह भारत को 2022 तक 36 राफेल मिलेंगे। 8 अक्टूबर को आधिकारिक तौर पर भारत को पहला राफेल मिला था। हालांकि, यह मई तक भारत में आ पाएगा। कांग्रेस इस मामले में सरकार द्वारा ज्यादा खर्च करके डील करने का आरोप लगा रही है। 

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