अयोध्या पर SC का फैसला: वामपंथी पार्टियों ने अदालत के फैसले का किया स्वागत, कहा- बनाए रखें अमन


पार्टी ने कहा कि हाई कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इस विवाद को खत्म करने की पहल की है ताकि इस मामले को ढाल बनाकर व्यापक पैमाने पर हिंसा फैलाने वाली ताकतें लोगों को हानि न पहुंचा पाए। 

नई दिल्ली:  वामदलों ने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट  के फैसले का स्वागत करते हुए सभी पक्षों से इसे स्वीकार कर देश में अमन-चैन कायम रखने की अपील की है। न्यायालय का फैसला सुनाए जाने के बाद माकपा पोलित ब्यूरो द्वारा जारी बयान में देश में वर्षों से चल रहे इस विवाद का सर्वोच्च अदालत के निर्णायक फैसला आने पर खुशी जताई। पोलित ब्यूरो ने कहा कि अदालत ने अयोध्या में हिंदू पक्ष को एक ट्रस्ट के माध्यम से मंदिर निर्माण के लिए विवादित 2.77 एकड़ जमीन दी है, साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन दिए जाने का फैसला दिया है।

मस्जिद गिराने के मामले का भी फैसला जल्द सुनाया जाना चाहिए- माकपा 

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पार्टी ने कहा कि हाई कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इस विवाद को खत्म करने की पहल की है ताकि इस मामले को ढाल बनाकर व्यापक पैमाने पर हिंसा फैलाने वाली ताकतें लोगों को हानि न पहुंचा पाए। पोलित ब्यूरो ने कहा कि माकपा का शुरु से ही मानना रहा है कि इस विवाद का सर्वमान्य हल सभी पक्षों के बीच आपसी सहमति से नहीं हो पाने की स्थिति में न्यायिक प्रक्रिया से ही निकाला जाना चाहिए। पार्टी ने कहा कि अदालत के फैसले में भी बाबरी मस्जिद को 1992 में ढहाए जाने को कानून का उल्लंघन बताया है। पार्टी ने कहा कि मस्जिद गिराने के मामले का भी फैसला जल्द सुनाया जाना चाहिए जिससे कानून तोड़ने वाले दोषियों को सजा मिल सके।

Supreme Court orders that Central Govt within 3-4 months formulate scheme for setting up of trust and hand over the disputed site to it for construction of temple at the site and a suitable alternative plot of land measuring 5 acres at Ayodhya will be given to Sunni Wakf Board. pic.twitter.com/VgkYe1oUuN

पोलित ब्यूरो ने सभी पक्षों से इस फैसले के परिप्रेक्ष्य में ऐसा कोई भड़काऊ काम नहीं करने की अपील की है जिससे देश में सांप्रदायिक सौहार्द प्रभावित होता हो। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘अदालत का फैसला सभी पक्षों के लिए स्वीकार्य होना चाहिए। समाज के सभी वर्गों की जिम्मेदारी है कि वे शांति और सौहार्द बनाए रखें, जो कि भारतीय संस्कृति के मूल में है और यही वक्त की पुकार है।’’
 

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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