जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य दर्जा हटाना सही या गलत? सोमवार को आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला

Published : Dec 08, 2023, 06:32 AM ISTUpdated : Dec 08, 2023, 12:14 PM IST
supreme court

सार

जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा (Jammu Kashmir Special Status) खत्म करने की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार को फैसला सुनाने वाला है। 

Jammu Kashmir Special Status. जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की वैधता को लेकर सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 23 याचिकाएं दायर की गई हैं। दूरगामी परिणाम वाला यह ऐतिहासिक फैसला सोमवार को आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले पर गहरी समीक्षा की जा रही है। रिपोर्ट्स की मानें 11 दिसंबर 2023 यानि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने की सुनवाई

जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने सुनवाई की है। इनमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं, जो सोमवार को फैसला सुनाएंगे। इस फैसले से यह भी साफ होगा कि सरकार द्वारा आर्टिकल 370 खत्म करना कानूनी प्रक्रिया और सिद्धांतों के तहत है या नहीं।

क्या है केंद्र सरकार का पक्ष

केंद्र सरकार ने तर्क दिया है कि जम्मू कश्मीर में संविधान द्वारा यह आर्टिकल हटाने से ऑटोमैटिक ही विधानसभा का निर्माण हो गया। केंद्र का दावा है कि ऐसा होने की वजह से ही राष्ट्रपति शासन के दौरान विधानसभा स्थगित होने और संसद की सहमति से कार्यवाही करने का अधिकार मिलता है।

क्या है याचिकाकर्ताओं का पक्ष

याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार पर मनमाने तरीके से राज्य के अधिकारों का छीनने का आरोप लगाया है। कहा गया है कि इससे राज्य के अधिकार और संवैधानिक तौर पर निहित विधानसभा की अवहेलना हुई है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि राज्य को विभाजित करने से पहले विधानसभा में निर्वाचित प्रतिनिधियों से सहमति लेना मूलभूत जरूरत थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। ऐसा करके केंद्र ने राज्य का स्वायत्तता का अतिक्रमण किया है और केंद्र-राज्य संबंधों के बुनियादी सिद्धांतों को कमजोर किया गया है। यह भी तर्क दिया गया है कि पिछले 4 वर्षों से जम्मू कश्मीर के लोगों को विधानसभा और लोकसभा में प्रतिनिधित्व से वंचित किया गया है। निर्वाचिक प्रतिनिधियों को नकारना लोकतंत्र का गला घोंटने के समान है।

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