Same Sex Marriage Case: जॉइंट अकाउंट, पेंशन...समलैंगिक शादी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कुछ कहा

भारत में सेम सेक्स मैरिज यानि समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कमेटी बनाने को कहा है।

 

Manoj Kumar | Published : Oct 17, 2023 3:40 AM IST / Updated: Oct 17 2023, 12:53 PM IST

Supreme Court On Same Sex Marriages.सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज के लिए सरकार से कमेटी बनाने को कहा है। कोर्ट ने कहा- सरकार समलैंगिक लोगों के अधिकार और पात्रता की जांच के लिए एक कमेटी का गठन करें। ज्वाइंट बैंक अकाउंट, राशन कार्ड, पेशन का अधिकार आदि बातों पर यह कमेटी विचार करेगी। चीफ जस्टिस ने कहा- समलैंगिकों के साथ रहने पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई जा सकती है। किसी विपरीत लिंग के संबंधों में ट्रांसजेंडर्स को मौजूदा कानून के तहत विवाह का अधिकार है। अनमैरिड कपल, समलैंगिक भी मिलकर किसी बच्चे को गोद ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई वाली पीठ में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एसके कौल, एसआर भट्ट, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने की मैराथन सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ी याचिकाओं पर मैराथन सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई वाली पीठ में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एसके कौल, एसआर भट्ट, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। यह सुनवाई 18 समलैंगिक जोड़ों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिका के बाद की गई थी। समलैंगिक जोड़ों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता और समाज में अपने रिश्ते को मान्यता देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की गई है कि विशेष विवाह अधिनियम में विवाह में समान लिंग वाले जोड़े भी शामिल किए जाएं।

याचिकाकर्ताओं का तर्क-इंटरनेशनल लॉ

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि भारत में विवाह आधारित संस्कृति है और एलजीबीटी जोड़ों को भी समान अधिकार दिए जाने चाहिए। जिस तरह से दूसरों को वित्तीय, बैंकिंग, बीमा के लिए अधिकार मिलते हैं, वैसे एलजीबीटी को भी मिले। गोद लेने और सरोगेसी के अधिकारों की भी मांग की गई है। सुनवाई के दौरान कई इंटरनेशनल कानूनों का भी हवाला दिया गया है। देश के कई राज्यों और संगठनों ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का विरोध किया है। इस पर राज्यों की तरफ से भी आपत्तियां मिली हैं। सुप्रीम कोर्ट इस पर फैसला सुना सकता है।

यह भी पढ़ें

26 सप्ताह की प्रेगनेंसी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- हम दिल की धड़कन को नहीं रोक सकते…

Share this article
click me!