इस हॉट लाइन टीम को लाइव तारों पर काम करने की ट्रेनिंग दी जाती है। कभी कभी इन तारों में 440 किलो वोल्ट का करंट होता है और ये तार 120 फीट की ऊंचे टॉवर पर लगे होते हैं।
चेन्नई. पिछले महीने तमिलनाडु के थिरुनिन्रावुर सब स्टेशन तक बिजली पहुंचाने वाली मैन इलेक्ट्रिक लाइन टूट गई थी, जिसे जल्द ही ठीक कराने की जरूरत थी। लेकिन अफसरों ने इसे ठीक करने के लिए लाइट की सप्लाई बंद नहीं की। अगर वे इसे बंद कर देते तो आसपास के छह गांव और दो मुख्य उप-स्टेशनों की बिजली आपूर्ति लगभग पांच घंटे बंद हो जाती। ऐसे में 15 सदस्यों की स्पेशल टीम को इसे सही करने के लिए बुलाया गया।
इस हॉट लाइन टीम को लाइव तारों पर काम करने की ट्रेनिंग दी जाती है। कभी कभी इन तारों में 440 किलो वोल्ट का करंट होता है और ये तार 120 फीट की ऊंचे टॉवर पर लगे होते हैं। ये लोग लाइव तारों के साथ काम करके एक बहुत बड़ा जोखिम उठाते हैं ताकि शहर को अंधेरे में ना रहना पड़े।
1957 से टीम राज्य में कर रही काम
यह हॉट लाइन टीम 1957 से तमिलनाडु में काम रही है और रोजाना ऐसे ही खतरे भरे कामों को करती है, कभी कभार उन्हें इसका श्रेय भी मिल जाता है।
टीम में ऑपरेशन को देखने वाले असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव नागराज जी ने कहा, हमने सैकड़ों ऑपरेशन किए हैं। लेकिन थिरुनिन्रावुर पर खास ट्रिकी था। दो सब स्टेशन इससे सीधे तौर पर जुड़े थे और अगर हम लाइन बंद कर देते तो 6 गांव में 5 घंटे के लिए बिजली बंद हो जाती।
हाल ही में टीम में शामिल हुए एक वायरमैन सरवनन एस ने लाइन को ठीक किया। उन्होंने कहा, "यह एक चुनौतीपूर्ण काम था। लेकिन यह मेरे लिए एक साहसिक कार्य था। 100 फीट ऊंचे टावर पर काम करना काफी कठिन था। मेरा परिवार भी इस नौकरी में जोखिम को समझता है, लेकिन मेरे प्रयासों पर बहुत गर्व है।
टीम में 160 सदस्य
राज्य में 160 सदस्यों में से 52 हॉट-लाइन सदस्य चेन्नई क्षेत्र में लाइव तारों पर मरम्मत के लिए ड्यूटी पर हैं। जब ये लोग लाइव करंट पर काम करते हैं, तो स्पेशल सूट पहनते हैं। इसे फैराडे सूट कहते हैं। इस सूट से दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। हालांकि, मौसम में अचानक होने वाले परिवर्तन से काम कर रहे कर्मचारियों पर हमेशा खतरा बना रहता है।
इसलिए केवल गर्मियों में ही लाइव तारों पर मरम्मत की जाती है। हालांकि, कभी-कभी बारिश होने लगती है। यह सूट इंसुलेटर नहीं होता, यह स्टील का बना होता है। इसलिए यह कंडक्टर की तरह काम करने लगता है। हालांकि, सभी जरूरी सुरक्षा मानकों का ध्यान रखा जाता है। लेकिन पूरी प्रक्रिया में खतरा बना रहता है।