सार

सरकार ने विकिपीडिया को पक्षपात और गलतियों पर नोटिस जारी किया है। कंटेंट पर एक छोटे समूह का नियंत्रण और तटस्थता पर सवाल उठाए गए हैं। विकिपीडिया को प्रकाशक माना जाए, यह भी सरकार का सवाल है।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को विकिपीडिया (Wikipedia) को पक्षपात और गलतियों के बारे में कई शिकायतों के बाद नोटिस जारी किया। सरकार ने कहा है कि संपादकों का एक छोटा समूह इसके कंटेंट को कंट्रोल करता है। इससे इसकी तटस्थता प्रभावित हो रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने सवाल उठाया है कि विकिपीडिया को मध्यस्थ के बजाय प्रकाशक क्यों नहीं माना जाए। बता दें कि विकिपीडिया को मुफ्त ऑनलाइन विश्वकोश के रूप में जाना जाता है। इसे पक्षपात और गलतियों के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के दौरान इसपर गंभीर सवाल उठे हैं। एक्स के मालिक एलन मस्क ने विकिपीडिया पर वामपंथी विचारधाराओं का समर्थन करने का आरोप लगाया है। मस्क ने लोगों से विकिपीडिया को दान देना बंद करने का भी आग्रह किया है।

छोटे समूह द्वारा कंट्रोल की जाती है विकिपीडिया पर मौजूद जानकारी

विकिपीडिया का दावा है कि यह ऐसा विश्वकोश है जिसका लोग मुफ्त में सुधार सकते हैं। हालांकि ऑपइंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि विकिपीडिया पर मौजूद सभी जानकारी दुनिया भर के एक छोटे समूह के लोगों द्वारा कंट्रोल की जाती है। चंद लोग यह तय करने का अधिकार रखते हैं कि कौन सी सामग्री जोड़ी जाए और कौन सी नहीं। ये लोग संपादन पर प्रतिबंध लगाने, संपादकों पर प्रतिबंध लगाने, विवादों पर निर्णय लेने, पेज हटाने, पेज लॉक करने, सामग्री को ओवरराइड करने जैसे अधिकार रखते हैं।

दुनिया भर में विकिपीडिया के हैं 435 सक्रिय प्रशासक

विकिपीडिया के दुनिया भर में 435 सक्रिय प्रशासक हैं। इनके पास व्यापक अधिकार हैं। कई संपादकों और प्रशासकों को विकिपीडिया चलाने वाली विकिमीडिया फाउंडेशन द्वारा ‘एडिटर रिटेंशन प्रोग्राम’ के तहत पैसे दिए जाते हैं।

इसके अलावा विकिमीडिया फाउंडेशन बहुत से एडिटर को परियोजनाओं के लिए अनुदान देने की आड़ में भुगतान करता है। गूगल और विकिमीडिया के बीच औपचारिक व्यावसायिक संबंध है। गूगल विकिमीडिया फाउंडेशन को लाखों डॉलर का अनुदान देता है। इसके साथ ही विकिमीडिया को दान और अनुदान के रूप में लाखों डॉलर मिलते हैं।

यह भी पढ़ें- प्राइवेट प्रॉपर्टी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सरकार नहीं कर सकती कब्जा