
बेंगलुरु. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बेंगलुरु में स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस में आधे घंटे उड़ान भरी। 3 साल पहले ही तेजस को इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया है। अब तेजस का अपग्रेड वर्जन भी आने वाला है। इस लाइट वेट एयरक्राफ्ट को हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड ने तैयार किया है। तेजस के आगे चीन और पाकिस्तान का JF-17 थंडर लड़ाकू विमान फेल है।
'तेजस' बनाम 'JF-17 थंडर' लड़ाकू विमान
- तेजस एक स्वदेशी लड़ाकू विमान है, जिसे DRDO, HAL और ADA द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। जबकि JF-17 थंडर लड़ाकू विमान को चीन और पाकिस्तान ने मिलकर बनाया है।
- तेजस चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। जबकि पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स का कहना है कि जेएफ -17 एक तीसरी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तेजस ने थंडर लड़ाकू विमान को पीछे छोड़ा है। बहरीन इंटरनेशनल एयर शो में तेजस का प्रदर्शन देखकर पाकिस्तान और चीन ने थंडरबर्ड को प्रदर्शनी से हटा लिया था।
- भारत का तेजस एक लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है। यह हवा से हवा और हवा से जमीन पर बम गिरा सकता है। इसमें एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं। यह एक बार में 54 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। 2222 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से उड़ान भरने में सक्षम है।
भारत को क्यों पड़ी तेजस की जरूरत?
तेजस एक मल्टी-रोल फाइटर है जिसमें कई महत्वपूर्ण क्षमताएं हैं। इससे भारत की वायु सेना और मजबूत होगी। इसके अलावा यह मिग-21 का एक बेहतर विकल्प भी साबित होगा। मिग-21 काफी पुराना हो चुका है। इससे हुए हादसों में करीब 43 जवान शहीद हो चुके हैं। यही वजह है कि इसे फ्लाइंग कॉफिन भी कहते हैं। इसलिए भारतीय वायु सेना को अंदाजा हो गया था कि नए लड़ाकू विमान की जरूरत पड़ेगी। इसलिए तेजस की तैयारी 1980 में ही शुरू कर दी गई थी। 4 जनवरी 2001 को तेजस ने अपनी पहली उड़ान भरी।