मूसी नदी को नाला समझ बैठे तेलंगाना HC के चीफ जस्टिस, हकीकत जानकर बोले- हाथ जोड़कर कहता हूं, पर्यावरण बचाएं

हैदराबाद (Hydrabad) की मूसी नदी (Musi river) बदहाल है। इसकी हालत इतनी खराब हो चुकी है कि हाईकोर्ट (High court) के चीफ जस्टिस (Chief Justice) इसे नाला समझ बैठे।

Asianet News Hindi | Published : Nov 22, 2021 10:14 AM IST

हैदराबाद। दिल्ली में वायु प्रदूषण (Air Pollution) के मुद्दे के बीच तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) ने पर्यावरण से जुड़ा एक चौंकाने वाला किस्सा शेयर किया है। एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि तेलंगाना हाईकोर्ट (Telangana High court) के पास बह रहा जलाशय नाला नहीं, बल्कि मूसी नदी है। जस्टिस शर्मा ने बताया कि जब मैं हाईकोर्ट आ रहा था, तो मुझे एक नाला दिखाई पड़ा। मैंने अपने अधीनस्थ से पूछा कि हाईकोर्ट के पास यह नाला क्यों है... मैंने इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद मुझे बताया गया कि नहीं श्रीमान, यह नाला नहीं है... यह मूसी नदी है। 
जस्टिस शर्मा ने कहा कि यह सुनकर मैं स्तब्ध रह गया था। उन्होंने कहा- मैं हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि कृपया अपने शहर को स्वच्छ बनाएं और पर्यावरण की रक्षा के लिए आवश्यक हर संभव कदम उठाएं।  जस्टिस शर्मा ने एक और वाक्या शेयर किया। उन्होंने बताया कि जब मैं हैदराबाद आ रहा था तब मुझे बताया गया था कि यहां एक बहुत खूबसूरत हुसैन सागर झील है। मैं जब हुसैन सागर देखने गया, तो भरोसा कीजिए, मैं वहां 5 मिनट भी रुक नहीं पाया। हमने अपने पर्यावरण का यह हाल कर दिया है। जस्टिस शर्मा ने 11 अक्टूबर को तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस (Chief Justice) के तौर पर शपथ ग्रहण की थी। 

स्वच्छ गंगा के लिए केंद्र दे चुका है 10 हजार करोड़ से अधिक की राशि 
नदियों को साफ रखने के लिए 2014 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMGC) को 10,000 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि जारी की है। इसमें से 2014 से अब तक घाटों के निर्माण और उनके मेंटेनेंस पर 730 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसमें से स्वच्छ गंगा कोष की सीटू बायो-रेमेडिएशन (जल निकासी के उपचार) में खर्च की गई राशि 161,91,909 रुपए है। 2014 से सितंबर 2021 तक मीडिया और सार्वजनिक आउटरीच पर 107.59 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। एक आरटीआई के आंकड़ों के मुताबिक 31 अक्टूबर तक सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए स्वीकृत 24,249.48 करोड़ रुपए के मुकाबले 9,172.57 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। 157 परियोजनाओं की रूपरेखा तैयार की गई है, जिनमें से 70 पूरी हो चुकी हैं।

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