भारत में बहुत से लोग किराये के मकानों में रहते हैं। मकान किराए पर देने से पहले ही मकान मालिक सैकड़ों शर्तें रख देते हैं। किराए पर आने के बाद भी मकान मालिक, वह न करें, यह न खाएं, ऐसा कहते ही रहते हैं। किरायानामा में उल्लिखित नियमों के अलावा भी अतिरिक्त शर्तें रख देते हैं। महानगरों में किरायानामा अनिवार्य है, उसमें लिखे नियमों का पालन किरायेदार और मकान मालिक दोनों को करना होता है। किरायेदार की पूरी जानकारी मकान मालिक को लेनी होती है। इन सबके साथ ही किरायेदार के भी कुछ अधिकार होते हैं। वे अधिकार क्या हैं, इसकी जानकारी इस आर्टिकल में पढ़िए…
1.निजता का अधिकार
मकान किराए पर लेने के बाद वह किरायेदार का निवास स्थान होता है। मकान मालिक, किरायेदार की निजता में दखलअंदाजी नहीं कर सकता। आपके रोजमर्रा के कामों पर पाबंदी नहीं लगा सकता। बिना इजाजत घर के अंदर आकर आपको कोई परेशानी नहीं दे सकता।
2.अनधिकृत प्रवेश
बार-बार घर के अंदर घुसकर परेशान नहीं कर सकता। घर के अंदर प्रवेश करने से पहले किरायेदार की अनुमति लेना अनिवार्य है। अचानक घर खाली करने के लिए नहीं कह सकता। घर खाली करने के लिए कम से कम 15 दिन का नोटिस देना होगा। अगर किरायेदार कई महीनों से किराया नहीं दे रहा है तो ऐसी स्थिति में मकान मालिक आपको घर से निकाल सकता है।
3.किराया वृद्धि
मकान मालिक अपनी मर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकता। किरायेदार से चर्चा करके ही किराया बढ़ा सकता है। बाजार भाव के हिसाब से ही किराया तय करना होगा। मकान मालिक किराया बढ़ाने से पहले किरायेदार को तीन महीने का नोटिस देगा।
4.किराया नियंत्रण अधिनियम, 1948
भारत सरकार ने 1948 में किराया नियंत्रण अधिनियम पारित किया था। इस नियम में मकान मालिक और किरायेदार के अधिकारों के बारे में बताया गया है। दोनों में से कोई भी शोषण का शिकार न हो, यह सुनिश्चित करना इस अधिनियम का उद्देश्य है। यह कानून हर राज्य में थोड़ा अलग है, लेकिन मूल संरचना एक ही है। इसमें मकान मालिक और किरायेदार के लिए कुछ नियम तय किए गए हैं। इन सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य है। मकान किराए पर लेने से पहले लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करना जरूरी है।
5. बुनियादी सुविधाओं का अधिकार
किरायेदार को मकान मालिक बुनियादी सुविधाएं देगा। मकान किराए पर लेते समय, मकान मालिक से पानी, बिजली, पार्किंग जैसी सुविधाएं मांगने का अधिकार किरायेदार को होता है। इन सुविधाओं को देने से मकान मालिक मना नहीं कर सकता। किराया देने के बाद सुविधा कम कर दी तो किरायेदार कानून की मदद ले सकता है।
6.रखरखाव और सुरक्षा जमा
किरायेदार के तौर पर घर के रखरखाव की जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है। घर की मरम्मत और रखरखाव का खर्च मकान मालिक खुद वहन करेगा। किराए से पहले दी गई जमानत राशि मकान मालिक को पूरी वापस करनी होगी। अगर उसमें से पैसे काटे हैं तो उचित कारण बताना होगा।
7.लिखित समझौता
किराए पर मकान लेते समय लिखित समझौता करना बहुत जरूरी है। समझौता पत्र दोनों की बातों का प्रमाण होता है। किराया, जमानत राशि, रखरखाव समेत तमाम नियमों को समझौता पत्र में दर्ज करना चाहिए।