किसान आंदोलन: 26 मई को 'काला दिवस' मनाने की तैयारियों के बीच सरकार से बातचीत करने को राजी हुए संगठन

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को 26 मई को 6 महीने पूरे हो जाएंगे। कुछ किसान संगठनों ने इस दिन को 'काला दिवस' मनाने का ऐलान किया है। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर फिर से बातचीत करने का प्रस्ताव रखा है। बता दें कि कोरोना संक्रमण के बीच आंदोलन जारी रखने से किसान संगठनों की किरकिरी हो रही है। इसी दिन मोदी सरकार के भी 7 साल पूरे होंगे।
 

नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच आंदोलन जारी रखने से किरकिरी का सामना कर रहे किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर फिर से बातचीत का प्रस्ताव रखा है। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को 26 मई को 6 महीने पूरे हो जाएंगे। कुछ किसान संगठनों ने इस दिन को 'काला दिवस' मनाने का ऐलान किया है। इसी दिन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अपने 7 साल पूरा कर लेगी। 

22 जनवरी के बाद नहीं हुई बातचीत...
संयुक्त किसान मोर्चा ने कोरोना संकट को देखते हुए केंद्र सरकार से फिर बातचीत शुरू करने की पहल की है। लेकिन पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि धरना कृषि कानून वापस लेने के बाद ही समाप्त होगा। इस बीच कई जगहों पर ऑनलाइन धरना भी दिया जा रहा है। किसान दिल्ली के बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं। इस बीच किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हुईं, लेकिन बेनतीजा निकलीं। आखिरी दौर की बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। केंद्र सरकार कानून में सुधार करने को तैयार है, लेकिन किसान संगठन उन्हें रद्द करने का मांग पर अड़े हुए हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को कई बार बातचीत का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया कि कानून रद्द होने तक कुछ नहीं होगा।

Latest Videos

कोरोना के आगे झुके
माना जा रहा है कि कोरोना के बीच धरना होने से किसान नेताओं की किरकिरी हो रही है। सिंघू बार्डर पर कोरोना से दो आंदोलनकारी किसानों की जान चली गई है। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन ने आंदोलन खत्म करने की अपील की है। यूनियन (किसान सरकार) के प्रवक्ता भोपाल सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन का इस समय कोई औचित्य नहीं रह गया है। देश बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है। किसान कोरोना से मर रहे हैं। मुश्किल हालात में उनके जीवन का संकट है। अगर वह बचेंगे तो ही तो अन्नदाता कहलाएंगे। अभी जीवन और फसलों को बचाने का समय है। भविष्य में आंदोलन जारी रखा जा सकता है। पंजाब के पटियाला निवासी 50 वर्षीय सरदार बलवीर सिंह और लुधियाना के 70 वर्षीय सरदार महेंद्र सिंह का निधन कोरोना से मंगलवार को हो गया था। ये लोग सिंघू बार्डर पर आंदोलन कर रहे एक किसान ग्रुप से थे। 

इन्हीं दबावों के चलते संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य बलवीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़ आदि के हस्ताक्षर के साथ पीएम को बातचीत के लिए पत्र लिखा गया है। किसान नेताओं ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ फसलों की खरीद के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का कानून बनाया जाए। नेताओं ने गांवों में फैलते संक्रमण को रोकने की भी बात रखी है।

यह भी पढ़ें
विदेश मंत्री एस.जयशंकर 24 मई को जाएंगे अमेरिका, एजेंडा में वैक्सीन से लेकर अर्थव्यवस्था तक के मुद्दे
टूलकिट पर कांग्रेस का मीडिया डिबेट को लेकर फैसला...बीजेपी बोली-भंड़ाफोड़ हुआ तो बैकफुट पर आई
नहीं रहे सुंदरलाल बहुगुणा: पर्यावरण को बचाने जिंदगीभर गांधीवादी तरीके से लड़ते रहे लड़ाई, कभी जीते-कभी हारे

 

Share this article
click me!

Latest Videos

अब क्या करेगा भारत... बांग्लादेश सरकार ने कहा- शेख हसीना को भेजिए वापस, बताई ये वजह
Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी
क्या है महिला सम्मान योजना? फॉर्म भरवाने खुद पहुंचे केजरीवाल । Delhi Election 2025
राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
Delhi Election 2025 से पहले Kejriwal ने दिया BJP की साजिश का एक और सबूत #Shorts