27 अगस्त 1979 का दिन इतिहास में एक काले दिन के रूप में दर्ज हुआ था। यह वह दिन था जब ब्रिटिश शाही परिवार के सदस्य और देश के आखिरी वायसराय लॉर्ड लुईस माउंटबेटन की हत्या कर दी गई। माउंटबेटन जिस 'शैडो वी' जहाज पर सवार थे, उस नाव को ही बम से उड़ा दिया गया। 'माउंटबेटनः देयर लाइव्स एंड लव्स' के लेखक एंड्र्यू लोनी ने बीबीसी को बताया था कि पचास पाउंड जेलिग्नाइट फट गया था। इससे लकड़ी, मेटल, कुशन, लाइफजैकेट, जूते और सबकुछ हवा में उड़ गया था। चंद सेकंड में ही वहां सन्नाटा छा गया। वो मनहूस सुबह 1979 में 27 अगस्त को सोमवार का दिन था। माउंटबेटन अपने जिस शैडो जहाज में सवार थे, उसमें उनके साथ उनकी बेटी पैट्रिशिया, उनके पति लॉर्ड जॉन ब्रेबॉर्न, उनके 14 साल के जुड़वा बेटे- टिमोथी और निकोलस और लॉर्ड ब्रेबॉर्न की मां डोरेन ब्रेबॉर्न भी थीं। उस जहाज पर काम करने वाला 15 साल का पॉल मैक्सवेल भी था। माउंटबेटन, निकोलस और मैक्सवेल की तुरंत मौत हो गई। अगले दिन डोरेन ब्रेबॉर्न की भी मौत हो गई। अन्य लोग बच गए थे।